जनप्रतिनिधियों के आचरण और व्यवहार पर ही निर्भर है प्रतिनिधि संस्थाओं की गरिमा: ओम बिरला

नई दिल्ली(प्रदीप कुमार): लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद भवन परिसर में लोक सभा सचिवालय द्वारा आयोजित महाराष्ट्र विधान सभा और विधान परिषद के सदस्यों के लिए प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर स्पीकर ने विधायकों से कहा कि  जनप्रतिनिधियों के आचरण और व्यवहार पर ही प्रतिनिधि संस्थाओं की गरिमा निर्भर करती है और सदन की मर्यादा कम होना लोकतंत्र के लिए खतरा है। उन्होंने विधायकों से आग्रह किया कि प्रतिनिधि संस्थाओं के सदस्य होने के नाते वे इन संस्थाओं की प्रतिष्ठा और मर्यादा को ऊंचा उठाने में वे योगदान दें। उन्होंने यह भी कहा कि सदन में बैठकों की कम होती संख्या और कार्यवाही में बढ़ते अवरोध जैसे विषयों पर भी हमें चिंतन करना चाहिए जिससे इन संस्थाओं में लोगों का विश्वास बना रहे।

     

स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि जनता के भरोसे पर खरा उतरने के दायित्व के प्रति जनप्रतिनिधियों को हमेशा संवेदनशील रहना चाहिए। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जनता की आवाज सदन के माध्यम से सरकार तक पहुंचाने में जनप्रतिनिधियों की सक्रिय सहभागिता आवश्यक है। यह विचार व्यक्त करते हुए कि जनप्रतिनिधि होना एक विशेषाधिकार और बड़े सम्मान की बात है, उन्होंने कहा कि विधायकों को यह याद रखना चाहिए कि यह विशेषाधिकार गंभीर जिम्मेदारियों के साथ आता है। अतः एक विधायक का प्राथमिक कर्तव्य होता है कि वह लोगों की समस्याओं और चिंताओं के प्रति उत्तरदायी बने। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जनप्रतिनिधि को सदन में जनता की शिकायतों को उठाकर उनकी आवाज बनना चाहिए जिससे सरकार उनके त्वरित समाधान हेतु उचित कदम उठा सके।

Also Read एस्टीमेट कमेटी ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की समीक्षा करते हुए कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की

स्पीकर बिरला ने सुझाव दिया कि सदन में कानून के निर्माण के समय भी जनप्रतिनिधि उस पर व्यापक चर्चा और विचार करें। ऐसा इसलिए है कि यह कानून ही आगे जाकर सामाजिक-आर्थिक बदलाव लाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि कानून के निर्माण के समय सभी वर्गों की बात का समावेश उसमें होना चाहिए। श्री बिरला ने ध्यान दिलाया कि आज के युग में तेजी से बदलती सामाजिक-राजनीतिक वास्तविकताओं के अनुरूप नीति निर्माण हो रहा है, इसलिए विधानमंडलों के लिए आवश्यक है कि ये जनता की जरूरतों के प्रति और अधिक उत्तरदायी बनें। उन्होंने कहा कि सदस्यों के लिए आवश्यक है कि वे कार्य-संचालन संबंधी सदन के नियमों और प्रक्रियाओं से भलीभांति परीचित हों। सदन में विभिन्न मुद्दों को उठाने के लिए ये नियम सदस्यों को अनेक प्रक्रियागत साधन उपलब्ध कराते हैं।

स्पीकर ने आगे कहा कि जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे सदन के पुराने डिबेट्स को पढ़ें, जो उन्हें विषयों को गहनता से समझने में मददगार सिद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को संबंधित क्षेत्र से जुड़ी शोध सहायता उपलब्ध होनी चाहिए क्यूंकि जीवंत लोकतंत्र के लिए उन्हें विषय की समूचित जानकारी होना आवश्यक है। स्पीकर ओम बिरला ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि विधायक जनता से जुड़ाव को बढ़ाने, उनकी आशाओं-अपेक्षाओं को जानने तथा विभिन्न विषयों पर उनका फीडबैक प्राप्त करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का भी सहारा लें। विधान मंडलों की कार्यवाही को आधुनिक तकनीक से युक्त करने की आवश्यकता के बारे में उन्होंने ‘वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफार्म’ को एक तय समय सीमा के भीतर तैयार करने पर जोर दिया।

Top Hindi NewsLatest News Updates, Delhi Updates,Haryana News, click on Delhi FacebookDelhi twitter and Also Haryana FacebookHaryana Twitter.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *