कूड़े के पहाड़ों को ख़त्म करने का मामला, AAP ने निगम पर लगाये आरोप

आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि भाजपा शासित नगर निगम कूड़े के पहाड़ों को ख़त्म करने के लिए दिल्ली सरकार का पैसा लुटा रही है। ज़्यादातर पैसा ख़र्च होने के बावजूद मात्र 11% कूड़ा ही कम हो पाया है। जितना प्रतिशत कूड़ा दो सालों में कम हुआ है उससे ज़्यादा बढ़ा है। अगर इस गति से कूड़ा साफ़ किया तो 100 सालों में भी यह कूड़े के पहाड़ नहीं हटेंगे।

आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली सरकार ने जो पैसा दिया, उसे ट्रॉमल मशीनों के किराए में लूट रही भाजपा। उन्होंने कहा, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली नगर निगम के तीनों कूड़े के पहाड़ों से पर्यावरण को लगभग 500 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है।

कूड़े का पहाड़ हटाने के लिए ईडीएमसी को लगभग 125 करोड़ खर्च करना पड़ता है। उसमें ईस्ट एमसीडी मात्र 40 करोड़ देती है जबकि दिल्ली सरकार 65 करोड़ खर्च करती है। इसी तरीके से नॉर्थ एमसीडी भलस्वा लैंडफिल को साफ करने के लिए 75 करोड़ खर्च करती है जिसमें नार्थ एमसीडी मात्र 30 करोड़ देती है जबकि दिल्ली सरकार 35 करोड़ देती है। और साउथ एमसीडी का खर्चा 50 करोड़ है जिसमें साउथ एमसीडी मात्र 15 करोड़ देती है और दिल्ली सरकार इसमें 25 करोड़ रुपए देती है। यानी कि तीनों नगर निगम मिलकर जितना खर्च करती हैं उससे कहीं ज्यादा पैसा दिल्ली सरकार देती है ताकि इन कूड़े के पहाड़ों को खत्म किया जा सके। इसकी समय सीमा एनजीटी ने ही बनाई थी कि कूड़े को किस रफ्तार से कम करना है। ताकि इन कूड़े के पहाड़ों को दिल्ली से पूरी तरह खत्म किया जा सके।

भलस्वा में अप्रैल 2021 तक 25% पहाड़ कम हो जाना चाहिए था। ओखला में अक्टूबर 2021 तक 25% पहाड़ कम हो जाना चाहिए था और इसी तरह से गाजीपुर में मार्च 2022 तक 25% पहाड़ कम हो जाना चाहिए था।

जबकि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के हवाले से सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि इसका काम बहुत धीमी गति से चल रहा है।

भारद्वाज ने कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम भलस्वा लैंडफिल में रोज 45 मीट्रिक टन कूड़ा उत्पन्न होता है। भलस्वा लैंडफिल में करीब 2500 से 2600 टन कूड़ा रोज़ जाता है। और पिछले 2 साल में 19 लाख मीट्रिक टन कूड़ा भलस्वा में आया है। उसमें से 18.5 लाख मैट्रिक टन कूड़ा एमसीडी प्रोसेस कर रही है। तो जितना यह प्रोसेस कर रहे हैं उससे ज्यादा कूड़ा वहां रोज़ आ रहा है। अगर आप इस गति से कूड़े को प्रोसेस करेंगे तो यह कूड़ा आने वाले 100 साल में भी प्रोसेस नहीं होगा। इसका बड़ा और मूल कारण यह है कि वहां पर दिल्ली सरकार के पैसों पर दबाकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि एनजीटी की रिपोर्ट में भी बताया गया था की ट्रॉमल मशीनों द्वारा इस कूड़े को प्रोसेस किया जाएगा। डीपीसीसी की रिपोर्ट में वर्तमान में 62 ट्रॉमल मशीनें ऑपरेशन में हैं जो इस कूड़े को छानने का काम करती है।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 250 करोड रुपए इनके लिए आवंटित किए गए थे और लगभग पूरी राशि खर्च हो चुकी है। लेकिन अभी तक मात्र 11% कूड़ा हटाया गया है।

 

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