(राहुल सहजवानी): यमुनानगर के साढोरा के गांव कल्याणपुर के नूर हुसैन छत्तीसगढ़ नक्सली हमले में शहीद हो गए । देर शाम शहीद का पार्थिव शरीर उनके गांव कल्याणपुर लाया गया। शहीद का पार्थिव शरीर जब साढोरा पहुंचा तो एक अलग ही नजारा देखने को मिला। पार्थिव शरीर के साढोरा आते ही शहीद के सम्मान में कई गांवों ने तिरंगा यात्रा निकाली। जिसमें आसपास के गांवों के हजारों युवा शामिल हुए। वही जब पार्थिव शरीर शहीद के गांव पहुंचा तो हजारों लोगों ने नम आंखों से शहीद को अंतिम विदाई दी। राजकीय सम्मान के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी गई और सपुर्द ए खाक किया गया। आसमान से हो रही बरसात से मानो ऐसा लग रहा था कि आसमान भी शहीद की शहादत पर आंसू बहा रहा हो। जिला प्रशासन राजनेताओं गांव वालों के साथ हजारों लोग अंतिम विदाई के गवाह बने। Haryana Big Breaking,
छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में यमुनानगर के ब्लॉक साढोरा के गांव कल्याणपुर के नूर हुसैन शहीद हो गए। 42 वर्षीय नूर हुसैन सीआरपीएफ में सिपाही के पद पर तैनात थे। शहीद नूर हुसैन का जब पार्थिव शरीर गांव में पहुंचा तो साथ लगते कई गांवों के लोगो के चेहरों पर मायूसी थी और आंखो में दर्द झलकता दिखाई दिया। हजारों की तादात में ग्रामीणों ने शहीद को शहादत देते हुए तिरंगा यात्रा भी निकाली। जिसके बाद राजकीय सम्मान के साथ पार्थिव शरीर को सपुर्द ए खाक किया गया।
जानकारी के अनुसार नूर हुसैन के नेतृत्व में सीआरपीएफ की एक टुकड़ी नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ के गांव बीजापुर में गश्त कर रही थी। इसी बीच झाड़ियों में छिपे नक्सलियों ने जवानो पर फायरिंग कर दी। इसमें नूर हुसैन के अलावा उनके दो-तीन साथी भी घायल हो गए। लेकिन गोली लगने के कारण नूर हुसैन वीर गति को प्राप्त हो गए। नूर हुसैन के भतीजे गफूर ने बताया कि नूर हुसैन के बेटे मोइन को कल फोन पर सूचना मिली थी। उस वक्त मोइन और उसकी माँ ये खबर सुनते ही बेहोश हो गए थे। परिवार भी सदमे में है और इसका बहुत दुख है उसकी कमी पूरी नहीं हो सकती। लेकिन गर्व इस बात का भी है कि देश के लिए वह शहीद हुए है। हम यही चाहते हैं कि नूर हुसैन के परिवार को आर्थिक मदद मिले। उन्होंने बताया कि नूर हुसैन का बेटा भी फ़ौज में जाना चाहता है। गांव के अंदर भी देशभक्ति का माहौल है तो वही गांव के ही करीब 100 नौजवान फौज में है।
जैसे ही शहीद नूर हुसैन का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव कल्याणपुर पहुंचा तो आसमान भी रो पड़े। हल्की बूंदाबांदी के बीच शहीद नूर हुसैन को राजकीय सम्मान के साथ गमगीन माहौल में सपुर्द ए खाक किया गया। ग्रामीणों ने बताया कि नूर हुसैन जब भी छुट्टियों में घर आते तो व बच्चों को फौज के बारे में बताया करते थे। व बच्चो को भी फोज में जाने और भारत माता की सेवा के लिए होसलाफसाही करते थे। बहुत अच्छा लगता था जब व बच्चों को ट्रेनिंग देते थे। वही उनका बेटा भी फौज में जाकर भारत माता की सेवा करना चाहता है। आपको बता दे कि इससे पहले भी गांव के दो जवान शहीद हो चुके हैं।
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गांव के सरपंच जान मोहम्मद ने बताया कि नूर हुसैन की शहादत पर जहां गांव को गर्व है तो वही गांव का माहौल गमगीन है। देश की शहादत पर तो गर्व है। लेकिन एक परिवार से एक लाल गया है उसका दुख भी है। भारत मां की मिट्टी के लिए गांव का एक और बेटा कुर्बान हुआ जिस पर बहुत बड़ा गर्व है। यह हमारे गांव की तीसरी शहादत है। इससे पहले भी गांव के दो जवान देश के लिए शहीद हो चुके हैं। गांव के सरपंच ने बताया कि गांव के अंदर देशभक्ति का माहौल है गांव में एक हजार की आबादी है जिसमें से 100 लोग फौज में है। लेकिन जिस प्रकार से गांव में सुविधाएं मिलनी चाहिए वह गांव में नहीं है। गांव में एक पोस्ट ऑफिस तक नहीं है। हम सरकार से यही मांग करते हैं कि शहीद के परिवार की आर्थिक मदद की जाए। इससे पहले भी जो लोग शहीद हुए सरकार की तरफ से बड़े-बड़े वादे किए गए लेकिन कुछ भी नहीं किया गया। आज भी हमारे गांव के युवा देश पर मर मिटने के लिए तैयार है। युवा आज भी गांव में फ़ौज में जाने की जी जान से तैयारी करते है। Haryana Big Breaking,