कोरोना के चलते स्कूल तो नहीं खुले है लेकिन ऑनलाइन क्लास के ज़रिए पढ़ाई शुरू हो चुकी है। लेकिन दिल्ली के प्राइवट स्कूलों में एडमिशन पाने वाले गरीब तबके के EWS कैटेगरी वाले बच्चे नाम आने के बाद आज भी एडमिशन के इंतज़ार में हैं।
कोरोना काल में स्कूल बंद हैं जिसकी वजह से कई तरह की परेशानियां देखने को मिल रही हैं। कभी एग्जाम को लेकर दिक़्क़त , तो कभी एडमिशन को लेकर। कुछ इसी तरह की दिक़्क़त से जूझ रहे हैं दिल्ली के EWS के वो हज़ारों बच्चे जो पिछले 4 महीने से एडमिशन की राह देख रहे हैं। दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपाराजिता की मानें तो प्राइवेट स्कूलों में नाम आने के बाद भी EWS के एडमिशन की प्रक्रिया ही अब तक शुरू नहीं हुई है।
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आपको बता दें कि हर साल नर्सरी, के जी और फर्स्ट क्लास के लिए प्राइवेट स्कूलों की 25 फ़ीसदी सीटें EWS और डिसएडवांटेज ग्रुप के लिए रिजर्व होती है। इस साल पहला ड्रॉ 29 फ़रवरी को हुआ था। इस साल EWS और डीजी ग्रूप के लिए 50000 सीटें अलॉट हुई थीं, लेकिन पहले ड्रॉ की 43000 सीटों के लिए केवल 15000 बच्चों का ही एडमिशन हुआ। ऐसे में अब हज़ारों गरीब बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। देखा जाए तो पहले ही EWS के एडमिशन देरी से होते थे लेकिन कोरोना के चलते साल के आख़िर तक ही एडमिशन होना मुश्किल लग रहा है।
अब देखना होगा लगातार शिक्षा कार्यों के लेकर अपनी पीथ थपथपाती आई केजरीवाल सरकार और डिप्टी सीएम/शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया कब सुध लेंगे और नाम आने के बावजूद इंतजार कर रहे बच्चों के चेहरे पर कब मुस्कान लौटेगी।