नैनीताल: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय की ओर से प्रदेश को नई सौगात दी गई। इस मौके पर पांच सचल न्यायालय की शुरुआत की गई।
मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान की ओर से इन सचल न्यायालयों को हरी झंडी दिखाई गई। उच्च न्यायालय परिसर में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आयोजित समारोह में आधुनिक तकनीक से युक्त पांच वैन को इनके गंतव्य के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।
प्रदेश के सुदूरवर्ती चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी, पिथौरागढ़ और चंपावत जनपदों में आज से इन न्यायालयों ने काम करना शुरु कर दिया है।
इससे गरीब, दिव्यांग, अक्षम, बच्चे, महिलाओं एवं कुछ सरकारी कार्मिकों को लाभ मिल सकेगा। ये सभी लोग अभिभासी तकनीक से घर बैठे सीधे न्यायालय से जुड़ सकेंगे और अपना पक्ष व गवाही अदालत के समक्ष रख सकेंगे।
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इससे वादों के निस्तारण में भी तेजी आएगी। यह भी माना जा रहा है कि इससे उन वादकारियों एवं गवाहों के जीवन को भी सुरक्षा मिल सकेगी जिनके जीवन को गवाही के दौरान खतरा उत्पन्न हो जाता है।
इसी के साथ ही उत्तराखंड उच्च न्यायालय उत्तर भारत का ऐसा पहला न्यायालय बन गया है जिसने वादकारियों के हित के लिये सचल न्यायालय जैसे अभिनव प्रयोग को लागू किया है।
मुख्य न्यायाधीश चौहान इससे पहले इस परिकल्पना को तेलंगाना राज्य में भी लागू कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि इससे राज्य की जनता को काफी लाभ मिल रहा है।
इसका लाभ लेने के लिए पात्र व्यक्ति को अग्रिम आवेदन करना होगा। सुदूर गांवों में बैठे व्यक्ति को भी इसका लाभ मिल सकेगा।
पात्र व्यक्ति पैरा लीगल वालंटियर, ग्राम प्रधान, ग्राम विकास अधिकारी के साथ ही ग्राम पंचायत अधिकारी के माध्यम से आवेदन भेज सकते हैं।
संबद्ध जिला न्यायालय के लिंक पर इस सुविधा का लाभ लिया जा सकता है। साथ ही जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भी आवेदन भेज कर भी इस सेवा का लाभ लिया सकेगा।