Uttarakhand: उत्तराखंड (Uttarakhand) के पहाड़ों पर भी पॉल्यूशन की टेंशन बढ़ गई है। फेमस टूरिस्ट प्लेस नैनीताल में एयर क्वालिटी में गिरावट दर्ज हुई है। बीते एक साल में यहां पीएम-10 लेवल 15 फीसदी से ज्यादा बढ़ गया है। जिला प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक नैनीताल में बढ़ते प्रदूषण की वजह अपने वाहनों से आने वाले टूरिस्ट हैं।
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इसके अलावा हाल के दिनों में जंगल में लगी आग ने भी इसमें इजाफा किया है। पॉल्यूशन एक्सपर्टों का कहना है कि जंगल की आग तो कभी कभी लगती है लेकिन नैनीताल में बढ़ता ट्रैफिक एयर क्वालिटी पर सबसे ज्यादा प्रभाव डाल रहा है। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में चिलचिलाती गर्मी से राहत पाने के लिए लाखों लोग हिल स्टेशन नैनीताल आते हैं।
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नैनीताल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के रीजनल ऑफिसर डॉ. डी. के. जोशी कि मई-जून के महीने में ग्रीष्म ऋतु होती है, ग्रीष्म ऋतु पर्यटकों का सीजन होता है। इस मौसम पर्यटकों की आवाजाही होती रहती है। दुर्भाग्य से इस बार हमारे जंगलों में भी आग लग गई थी साथ ही वातावरण भी बहुत शुष्क था उससे जंगलों में आग से और वाहनों के प्रदूषण से हमारे मानक थोड़े ये ज्यादा हुए जैसे पीएम10, पीएम 2.5, सल्फर डाइऑक्साइड की बात करें, तो ये लेवल थोड़े से चेंज हुए। उन्होंने बताया कि प्रदूषण पर सबसे ज्यादा प्रभाव टूरिस्टों की गाड़ियों से पड़ता है।