विकास मेहला(करनाल): समय से पहले पड़ रही गर्मी का असर किसानों की फसलों पर लगातार पड़ रहा है। गेहूं की कम पैदावार के बाद अब सब्जी की फसलें नुकसानदायक सिद्ध हो रही हैं। किसानों का मानना है कि गर्मी के कारण पौधों पर फूल-फल भरपूर मात्रा में नहीं आ रहा है। जो फल आता है वो मौसम की मार के चलते खराब हाे रहा है। कम पैदावार के बाद भी मंडी में खरीददारों को ढूंढना पड़ता है। गर्मी के बाद महंगाई ने भी अपना असर दिखाया है। किसानों के लेबर खर्चे भी पूरे नहीं हो रहे हैं। ऐसे में किसानों से मुआवजा की मांग की जा रही है।
करनाल निवासी किसान सुरेंद्र सागवान ने बताया कि गर्मी के कारण किसान पर पूरा प्रभाव है। समय से पहले गर्मी आने से गेहूं की पैदावार पर असर पड़ा। अब सब्जी पर पूरा असर दिख रहा है। गर्मी से किसानों की फसल लगातार खराब हो रही है। फसल पर फूल नहीं आ रहे। फूल नहीं आते तो फल नहीं आ रहे। कुछ फल तैयार हो भी जाए तो वो खराब हो रही हैं। इस बार 50 फीसदी पैदावार कम है। इसके बावजूद मंडी में खरीददार नहीं है। दूसरा कारण महंगाई है। सरकार से अपील है कि हर गांव में पटवारियों को भेजकर सरकार उनको सहारा दे।
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करनाल के गांव सुहाना गांव निवासी रविदत्त ने बताया कि हमारे साढ़े 4 एकड़ में सब्जी लगाई हुई है। गर्मी के कारण सब्जी की फसल पर फल-फूल नहीं आ रहे हैं, जो फल आता है वो ओवर साइज हो जाता है। इस कारण से मंडी में रेट नहीं मिल पाता है। सब्जी का बीमा पर नहीं किया जाता है। कुछ समय बाद बरसात शुरू होते ही खराब हो जाए। सरकार से अपील है कि किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए, जिससे उनका सब्जी खर्च पूरा हो सके। महंगाई के चलते मंडी में हमसे खीरा 2 से 3 रुपये किलो लेकर 15 रुपये बेचा जा रहा है। तोरी 2 रुपये किलो दी जा रही है। इन हालातों से किसान लगातार कर्जबंद होता जा रहा है। सरकार किसानों की तरफ थोड़ा ध्यान दे, तो कुछ हो सकता है। तभी सुधार हो सकता है।
उप कृषि निदेशक आदित्य प्रताप डबास ने बताया कि गर्मी का महीना है। जनवरी और फरवरी में बरसात के दिनों की संख्या ज्यादा थी। गेहूं का फुटाव कम हुआ था। क्लामेट चेंज हुआ था, इसका गेहूं पर असर पड़ा। सब्जियों पर गर्मी जल्दी आने के कारण प्रकाेप पड़ा है। इस बार मानसून 98 फीसदी सामान्य रहेगा। इससे फसलों को फायदा होगा। सभी कोशिश को करते हुए भूमिगत जल को बचाने का प्रयास किया जाना है।