उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जैसलमेर में BSF के सैनिक सम्मेलन को संबोधित कर कही ये बातें

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज जैसलमेर में BSF के सैनिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए जवानों से कहा कि आपके बीच में आकर एक नई ऊर्जा का अहसास कर रहा हूंऔर ये पल मेरे लिए सदा यादगार रहेगा।

अपने छात्र जीवन के याद करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि“मैं सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ का छात्र रहा हूं। कक्षा 5 में वर्दी पहनी थी- वर्दी की ताकत, वर्दी की अहमियत मुझे पता है। वर्दी आपको किस रूप में अचानक परिवर्तित कर देती है यह मैंने बचपन में देखा है।” उन्होंने सीमा सुरक्षा बल के जवानों की कर्तव्यनिष्ठा की प्रशंसा करते हुए कहा कि “आपको देखकर मैं अभिभूत हूं!देश की प्रथम रक्षा पंक्ति- सीमा सुरक्षा बल(BSF) उत्कृष्ट रूप से कर्तव्य निर्वहन कर रहा है। आपका कार्य अत्यंत प्रशंसनीय और वंदनीय है।”

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इससे पहले कल शाम उपराष्ट्रपति ने जैसलमेर में BSF की बावलियांवाला सीमा चौकी का दौरा किया था और वहां तैनात जवानों से मुलाकात की थी। इस अवसर पर उन्होंने ‘तनोट विजय स्तंभ’ पर अमर शहीदों को कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से श्रद्धांजलि भी अर्पित की।

कठिन परिस्थितियों में ड्यूटी कर रहे BSF के जवानों के पुरुषार्थ की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि ऐसी तपती धूप में कुछ मिनट भी खड़ा रहना मुश्किल है। चारों तरफ का वातावरण चुनौतीपूर्ण है और सीमा पर आपको एक पलक झपकाने की भी फुर्सत नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि – हिमालय की ऊंची पहाड़ियाँ, थार का तपता हुआ रेगिस्तान, पूर्वोत्तर के घने जंगल, दल-दल से भरे रण-क्रीक में सीमा सुरक्षा बल के जवानों की जो मुस्तैदी है, वह बेमिसाल है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल के जवान हर पल आप अपने मोटो “जीवन पर्यन्त कर्तव्य” को चरितार्थ कर रहें हैं। उनके परिवारजनों को त्याग को स्मरण करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि “मैं नमन करता हूं आज उन माताओं को जिन्होंने आप जैसे वीर सुपुत्र और वीरांगनाओं को जन्म दिया है और राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित किया है।”

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रक्षा बलों में महिलाओं की बढ़ती हुई भागीदारी का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत का बदलती हुई तस्वीर कर्तव्य पथ पर Republic Day पर हमने देखी जहां हमारी बेटियों ने क्या कुछ नहीं दिखाया!यहां मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई जब उनकी भागीदारी देखी।

राष्ट्र की रक्षा करते हुए अपनी जीवन बलिदान करने वाले अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि “मैं उन प्रहरियों को नमन करता हूं जो आज हमारी बीच नहीं हैं, जो मां भारती की रक्षा में अपना जीवन न्योछावर कर अमर हो गये।उन वीरों के परिवारजनों को भी विनयपूर्वक नमस्कार करता हूँ।”

रक्षा क्षेत्र में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक ज़माना था जब कील तक बाहर से आती थी लेकिन अब हम रक्षा उपकरणों का निर्यात कर रहे हैं। विमानवाहक पोत विक्रांत देश में बना, फ्रिगेट देश में बने, तेजस बना, मिसाइलें बनी और यह मुमकिन इसलिए हुआ क्योंकि सीमाओं पर अमन-चैन आप कायम करते हो। उन्होंने सीमा सुरक्षा बल के जवानों से कहि कि आप शांति के दूत हैं; आपकी वजह से भारत दुनिया में शांति का दूत है और यह गर्व का विषय है सीमा सुरक्षा बल विश्व का सबसे बड़ा सीमा रक्षक बल है। और मैं यहां से ऊर्जावान होकर जा रहा हूं, एक नई प्रेरणा लेकर जा रहा हूं।

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देश के विकास में BSF की अहम भूमिका को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आप यहां सीमा पर तैनात हैं, इसी कारण भारतवासी एक सुरक्षित वातावरण में सो पाते हैं और यह आपके धैर्य और पराक्रम का ही परिणाम है कि प्रत्येक भारतीय निर्भय और निश्चिंत होकर देश के सर्वांगीण विकास के काम में निरंतर गतिशील हैं।

देश के दुश्मनों द्वारा घुसपैठ, तस्करी आदि अपराधों के जरिये सीमावर्ती इलाकों में अस्थिरता लाने के प्रयासों को सीमा सुरक्षा बल द्वारा प्रभावी रूप से निष्फल करने की उपराष्ट्रपति ने प्रशंसा की।उन्होंने इन चुनौतियों से निपटने में आधुनिक तकनीक के प्रयोग का भी आह्वान किया। इस अवसर पर BSF के महानिदेशक डॉ नितिन अग्रवाल, BSF की पश्चिमी कमांड के SDG वाई बी खुरानिया, जैसलमेर BSF के उप महानिरीक्षक विक्रम कुंवर व अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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