दिल्ली: किसान आंदोलन खत्म होगा या नही , इस सवाल का जवाब बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की आपात बैठक से मिल सकता है और इस बैठक में करीब 42 किसान संगठनों के नेता होंगे, जो विज्ञान भवन में केंद्र सरकार से हुई बातचीत में शामिल थे, इस बैठक का मकसद मोर्चा के सभी नेताओं में आंदोलन खत्म करने के सर्वमान्य तरीके पर सहमति बनाने की कोशिश होगी।
अगर आज सर्वसम्मति बनी तो आज ही किसान आंदोलन की आगे की रणनीति या समाप्ति को लेकर घोषणा की जा सकती है और अगर सर्वसम्मति नहीं बनती है , तो किसान संगठनों की फूट खुलकर सामने आएगी और सूत्रों की मानें तो जो किसान अब वापस घर जाना चाहते हैं, आज की बैठक के बाद ही जा सकते हैं।
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मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने स्पष्ट किया है कि सभी घटक संगठनों की बैठक 4 दिसंबर को होगी। इस बैठक में प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र में उठाए गए कई बिंदुओं और भविष्य में लिए जाने वाले फैसलों पर चर्चा होगी। मोर्चा ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि एसकेएम लंबित मांगों पर ठोस आश्वासन और समाधान चाहता है।
किसान नेताओं ने कहा कि यह चिंता का विषय है, कि जब 12 सांसदों ने विधेयक और संबंधित एमएसपी कानूनी गारंटी सहित अन्य मामलों पर बहस कराने की कोशिश की, तो उन्हें संसद के पूरे शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया गया और संसद में विस्तृत बहसों का दम घोंटना पूरी तरह से गलत और अलोकतांत्रिक है।
केंद्र सरकार तीन खेती कानूनों की वापसी के बाद अब किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के मसले पर बातचीत के लिए राजी हो गई है, सरकार ने इसके लिए समिति बनाने की खातिर किसान संगठनों से पांच नेताओं के नाम मांगे हैं, किसान नेता दर्शनपाल सिंह ने मंगलवार को बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा की 4 दिसंबर को होने वाली बैठक में नाम पर फैसला लिया जाएगा।
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दर्शनपाल सिंह ने बताया, केंद्र ने फसलों के एमएसपी के लिए समिति बनाने को लेकर पांच नाम मांगे हैं और हमने अभी तक फैसला नहीं लिया है, 4 दिसंबर की बैठक में फैसला लेंगे और भारतीय किसान यूनियन के गुरनाम सिंह चढूनी ने ऐलान किया, कि शहीद किसानों के परिजनों को मुआवजा मिलने और किसानों पर दर्ज सभी मुकदमों की वापसी तक किसान आंदोलन जारी रहेगा।
करनाल के बतसाड़ा टोल प्लाजा पर पहुंचे गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा है कि हरियाणा में 48 हजार किसानों पर मुकदमे दर्ज हैं, दिल्ली में सैकड़ों किसानों पर केस दर्ज हैं और जब तक एक-एक किसान का मुकदमा वापस नहीं होता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
शहीद किसानों के परिवारों को मुआवजा दिलवाने की बात है, जिसके लिए पहले से प्रयास चल रहे हैं और सिर्फ कमेटी बनाने की बात कही है। कमेटी कितने दिन में रिपोर्ट देगी, अभी कुछ भी साफ नहीं है कि दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में किसानों के आंदोलन से लगभग 60 हजार करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हुआ है।
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