WHO: बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपना करने से भी कतराते हैं। पर्सनल एक्टीविटी में हिस्सा लेने से बचते हैं। ऐसे लोगों को लेकर WHO ने एक शोध किया गया है, जिसमें ये जानकारी निकलकर सामने आई कि भारत में लगभग 50 प्रतिशत बेहद आलसी हैं। ये लोग इतने आलसी हैं कि अपना जरुरी शारीरिक श्रम भी नहीं करते हैं। इनमें लगभग 57% भारतीय महिलाएं शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं हैं। जबकि पुरुषों में इसकी दर 42 प्रतिशत है।
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बता दें, शोधकर्ताओं ने विश्व भर में पर्याप्त रूप से शारीरिक गतिविधि नहीं करने वाले वयस्कों के बारे में जानकारी दी है। उनका दावा है कि विश्व भर में एक तिहाई वयस्कों, या 31.3 प्रतिशत, कम शारीरिक श्रम करते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि पर्याप्त शारीरिक श्रम करने वालों को हर हफ्ते 150 मिनट की मॉडरेट इंटेसिटी वाली फिजिकल एक्टिविटी या 75 प्रतिशत हाई इंटेसिटी वाली फिजिकल एक्टिविटी करनी चाहिए।
साल 2010 की बात करें तो एक अध्ययन के अनुसार, फिजिकली एक्टिव नहीं रहने वाले वयस्कों की संख्या 26.4 प्रतिशत थी। 2022 के आंकड़े में 5% का विस्तार हुआ है शोधकर्ताओं का अनुमान है कि भारत में शारीरिक श्रम न करने वालों की संख्या अगर यूं ही बढ़ती रही तो 2030 तक 60 प्रतिशत हो जाएगी। यह अध्ययन 2000 से 2022 तक 197 देशों और क्षेत्रों में कम शारीरिक गतिविधि करने वाले वयस्कों की संख्या का अनुमान लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने जनसंख्या-आधारित सर्वेक्षणों में वयस्कों (कम से कम 18 वर्ष की आयु) से संकलित आंकड़ों का विश्लेषण किया है।
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साथ ही, शोधकर्ताओं ने पाया कि 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के पुरुषों और महिलाओं में शारीरिक निष्क्रियता दर बढ़ रही है। फिजिकली कम एक्टिव लोगों में डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक 2021 में भारत में 10.1 करोड़ लोगों में डायबिटीज था। 31.5 करोड़ लोग हाई बीपी के शिकार थे। इस अध्ययन के अनुसार, 18.5 करोड़ लोग हाई कोलेस्ट्रोल से जूझ रहे थे और लगभग 25.4 करोड़ लोग मोटापे के शिकार थे।