Women Problem: आजकल के व्यस्त जीवन और खराब खानपान की वजह से महिलाओं में हार्मोंस के असंतुलित होने की समस्या आम हो गई है। इसकी वजह से पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी PCOS जैसी समस्या हो सकती है। PCOS महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है लेकिन इसका प्रभाव उनके मानसिक स्वास्थय पर भी पड़ सकता है। जिसकी वजह से उन्हें तनाव और डिप्रेशन का भी सामना करना पड़ सकता है।
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बता दें, PCOS की समस्या के चलते महिलाओं में मेल हार्मोन एंड्रोजन की मात्रा बढने लगती है। इसी कारण से महिलाओं में मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन और तनाव जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। जिस वजह से वे आगे चलकर मेंटल हेल्थ प्राब्लम्स का शिकार हो जाती हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डालती है PCOS?- PCOS से पीडित महिलांए ज्यादातर नकारात्मक चीजें सोचती हैं। वे अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाती। दिमाग में कई प्रकार की बातें चलने के कारण वे डिप्रेशन की शिकार हो जाती हैं। इस बीमारी से पीडित महिलांए खुद को लेकर असमंजस में रहती है, किसी काम में उन्हें संतुष्टि नहीं मिलती है या यूं कहें की उन्हें खुद पर ही विश्वास नहीं हो पाता है। ऐसे में वो खुद को हमेशा दूसरों से कम आंकती हैं।
इसके अलावा PCOS की वजह से महिलाओं में कई तरह के शारीरिक बदलाव होते हैं। जैसे- उनमें मोटापा, चेहरे पर मुहांसे आदि जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। जिस वजह से ज्यादातर महिलांए चिंतित रहती हैं। PCOS से जुझने वाली महिलाओं में सेरोटिन ( जिसे आमतौर पर हैप्पी हार्मोन भी कहा जाता है) का स्तर घटने लगता है, जिसकी वजह से वो दुखी रहने लगती हैं।
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बचाव के उपाय- इससे बचने के लिए PCOS से पीड़ित महिलाएं प्रतिदिन मेडिटेशन करें। साथ ही नियमित रुप से एक्सरसाइज करें और कोई ऐसी एक्टिविटी करें जिसे करने में उन्हें खुशी मिले। इसके अलावा खान पान पर विशेष ध्यान दें। समस्या ज्यादा होने पर फौरन एक्सपर्ट्स की सलाह लें।