चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा की आठवीं शक्ति माता महागौरी की उपासना की जाएगी। इनका रंग गोरा होने के कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है।
इस दिन कन्या पूजन करने का भी विधान है, लेकिन इस कोरोना महामारी बहुत तेजी से फैल रहा है। इसलिए घर पर मौजूद ही कन्याओं को भोजन कराएं।
शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि महागौरी को शिवा भी कहा जाता है। इनके हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है तो दूसरे हाथ में भगवान शिव का प्रतीक डमरू है।
अपने सांसारिक रूप में महागौरी उज्ज्वल, कोमल, श्वेत वर्णी तथा श्वेत वस्त्रधारी और चतुर्भुजा हैं। तो तीसरा हाथ वरमुद्रा में हैं और चौथा हाथ एक गृहस्थ महिला की शक्ति को दर्शाता हुआ है।
महागौरी को गायन और संगीत बहुत पसंद है। ये सफेद वृषभ यानी बैल पर सवार रहती हैं। इनके समस्त आभूषण आदि भी श्वेत हैं। महागौरी की उपासना से सारे पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
अष्टमी के दिन सबसे पहले नहा कर साफ कपड़े पहनें, इसके बाद घर के मंदिर में लकड़ी की चौकी पर महागौरी की प्रतिमा स्थापित करें। मां के आगे दीपक जलाएं और फल, फूल अर्पित करें। मां की आरती के बाद कन्या पूजन करें।
आज महाअष्टमी के दिन देवी दुर्गा के महागौरी के निमित्त उपवास किया जाता है, लेकिन धर्मशास्त्र का इतिहास चतुर्थ भाग के पृष्ठ- 67 पर चर्चा में ये उल्लेख भी मिलता है कि पुत्रवान व्रती इस दिन उपवास नहीं करता। साथ ही वह नवमी तिथि को पारण न करके अष्टमी को ही व्रत का पारण कर लेता है।
मां महागौरी पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।
मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को सफेद रंग पसंद है।
मां को स्नान कराने के बाद सफेद पुष्प अर्पित करें।
मां को रोली कुमकुम लगाएं।
मां को मिष्ठान, पंच मेवा, फल अर्पित करें।
मां महागौरी को काले चने का भोग अवश्य लगाएं।
मां महागौरी का अधिक से अधिक ध्यान करें।
मां की आरती भी करें।
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अष्टमी के दिन कन्या पूजन करनी चाहिए
इसके लिए सुबह स्नानादि करके भगवान गणेश व महागौरी की पूजा अर्चना करें
फिर 9 कुंवारी कन्याओं को घर में सादर आमंत्रित करें
उन्हें सम्मान पूर्वक आसन पर बिठाएं
फिर शुद्ध जल से उनके चरणों को धोएं
अब तिलक लगाएं,
रक्षा सूत्र बांधें और उनके चरणों में पुष्प भेंट करें
अब नई थाली में उन्हें पूरी, हलवा, चना आदि का भोग लगाएं
भोजन के बाद कुंवारी कन्याओं को मिठाई व अपनी क्षमता अनुसार द्रव्य, कपड़े समेत अन्य चीजें दान करें
बाद में उनकी आरती करें व चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें
फिर हो तो सभी कन्याओं को घर तक जाकर विदा करें।
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