लंपी वायरस के बाद अब अफ्रीकन स्वाइन फ्लू का कहर

चरखी दादरी (प्रदीप साहू): अफ्रीकन स्वाइन फ्लू से सूअरों की लगातार मौत हो रही है। पशुओं में पहले लंपी वायरस का कहर रूका नहीं अब अफ्रीकन स्वाइन फ्लू ने दस्तक दे दी है। अफ्रीकन स्वाइन फ्लू के चलते दादरी क्षेत्र में हजारों सूअरों की मौतें हो चुकी हैं। जिसको देखते हुए पशुपालन विभाग द्वारा अलर्ट जारी करते हुए दादरी का एक क्षेत्र नोटिफाइड कर दिया गया है। वहीं विभाग ने अपनी रिपोर्ट में 245 सूअरों की मौत बताया है। अफ्रीकन स्वाइन फ्लू के कहर के कारण पशुपालकों में हडक़ंप मच गया और सरकार से मुआवजा की मांग उठाई है। वहीं पशुपालन विभाग ने अपनी स्पेशल टीमें बनाकर फील्ड में उतार दी हैं और लोगों को लगातार जागरूक कर रही हैं।

बता दें कि लंपी वायरस के बाद अब अफ्रीकन स्वाइन फ्लू ने दस्तक दे दी है। जिसके चलते दादरी क्षेत्र में हजारों सूअरों की मौत के मामले सामने आए हैं। अफ्रीकन स्वाइन फ्लू के कारण लगातार हो रही सूअरों की मौतों ने पशुपालकों की चिंता बढ़ा दी है। पशुपालकों का कहना है कि लगभग एक हजार सुअरों की मौत हो गई है। सुअरों को बहुत तेज बुखार आता है, वे नीले पड़ जाते हैं, मुंह से झाग आता है और झट से मौत हो जाती है। हम सुअरों को कुछ दवाइयां भी देते रहे, लेकिन किसी भी दवा से कोई आराम नहीं मिला। सूअरों की मौत के कारण उनको आर्थिक नुकसान हुआ है। हम अपने परिवार का पालन पोषण सूअरों को पालकर उसकी बिक्री करके ही करते थे। अफ्रीकन स्वाइन फ्लू के दस्तक देते ही पशुपालन विभाग भी अलर्ट हो गया है। हालांकि विभाग ने अफ्रीकन स्वाइन फ्लू से अब तक 245 सूअरों की मौत होने की पुष्टि की है। वहीं पशुपालकों का कहना है कि हजारों सूअरों की मौतें हुई हैं। विभाग द्वारा प्रभावित क्षेत्र को नोटिफाइड करते हुए स्पेशल टीमें फील्ड में उतरी हैं।

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नगर पार्षद व पशुपालक विनोद वाल्मीकि ने कहा कि विभाग द्वारा कोई खास संज्ञान नहीं लिया। जिसके कारण हजारों सूअरों की मौतें हुई हैं। सरकार को अफ्रीकन स्वाइन फ्लू से मरे सूअरों के पालकों को मुआवजा देना चाहिए। वहीं पशुपालन विभाग के एसडीओ डॉ. तुलसीराम ने बताया कि अफ्रीकन स्वाइन फीवर की चपेट में आए सूअरों को जल्द ही मार दिया जाएगा। शहर में ही यह बीमारी फैली है जबकि गांवों में इस रोग का प्रकोप नहीं है। शहर में कुल 255 सूअरों की अब तक पहचान हुई हैं जिनमें से 245 की मौत हो चुकी है और 10 सूअर जिंदा बचे हैं। इसके बचाव के लिए कोई वैक्सीन नहीं है। प्रभावित सूअरों को विभाग द्वारा मारने व लोगों को जागरूक करने का अभियान शुरू किया गया है।

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