वाशिंगटन। चीन की हिमाकत और बढ़ती दादागीरी के मद्देनजर भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने क्वाड- ‘क्वॉड्रिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग’ की परिकल्पना को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया पर सहमति दे दी है। अमेरिका ने इसको लेकर स्पष्ट किया है कि अब दक्षिण एशिया में भी एक नाटो जैसे संगठन की जरूरत है।
जानकारी के मुताबिक, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए ये चारों देश अब एक साथ होकर अधिक से अधिक सैन्य और व्यापारिक सहयोग करने के मकसद से एक संगठन ‘क्वॉड्रिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग’ बनाने की प्रक्रिया में हैं। इसके दूसरी ओर चीन इस जैसे किसी संगठन के अस्तित्व में आने की संभावनाओं को खारिज कर रहा है। ये चारों लोकतांत्रिक देश क्वॉड’ के तहत आपसी साझेदार हैं, लेकिन फिलहाल चीन की दादागीरी से निपटने को बना ये एक अनौपचारिक संगठन ही है। इससे पहले अमेरिका ने कहा था कि हिंद-प्रशांत की अवधारणा ने भारत को बड़े समाधान में शामिल किया है।
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर चारों देश भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान लंबे समय से लंबित पड़े क्वाड गठबंधन को एक स्वरूप दिया है। इस संगठन का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र के समुद्री मार्गों को बिना किसी दबाव और रोक-टोक के चालू रखना है।
आपको बता दें, दक्षिण चीन सागर पर स्थिति बेहद गंभीर है क्योंकि चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है, लेकिन ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम इसके कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं। पूर्वी एशिया और प्रशांत मामलों के ब्यूरो के सहायक विदेश मंत्री डेविड स्टिलवेल ने सीनेट की विदेश मामलों की समिति से कहा है कि, ‘भारत इस संबंध में बहुत मजबूत है। हिंद-प्रशांत की अवधारणा ने भारत को एक बड़े समाधान में शामिल किया है।’
इसके अलावा अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री और उत्तर कोरिया के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि स्टीफन बेगन ने कहा कि ‘क्वॉड’ साझा हितों के आधार पर गठबंधन को औपचारिक रूप देने पर चर्चा करने के लिए अक्तूबर महीने के अंत तक नई दिल्ली में एक बैठक आयोजित करने की योजना बना रहा है। उनकी यह टिप्पणी भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के दूतों से ‘एक संयुक्त पहल की शुरुआत’ पर सहमति मिलने के बाद आई है।
एक ओर इस संगठन से चीन दहशत में है, वहीं दूसरी ओर चीन इस प्रकार के किसी संगठन के अस्तित्व को खारिज कर रहा है। चीनी मुखपत्र ‘द ग्लोबल टाइम्स’ ने 20 अगस्त को अपनी एक रिपोर्ट में लिखा था कि, “चीन-भारत और चीन-जापान संबंधों में उस तेजी से गिरावट नहीं आई है, जिस तेजी से चीन और अमेरिका के संबंधों में आई है।” इसके साथ यह भी लिखा कि, “भारत के साथ बातचीत अभी भी सामान्य प्रवृत्ति से जारी है और जापान को महामारी के बाद अपने आर्थिक विकास के लिए चीन की जरूरत होगी।