ड्रोन को तकनीकी रूप से सुदृढ़ बनाने के लिए सीएम खट्टर ने अधिकारियों को क्या दिए निर्देश

अनिल कुमार (चंडीगढ़): हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग करने की दिशा में एक और पहल करते हुए ड्रोन इमेजिंग एंड इंफॉर्मेशन सर्विस ऑफ हरियाणा लिमिटेड (दृश्या) के अधिकारियों को एंटी ड्रोन टेक्नोलॉजी विकसित करने की दिशा में कार्य करने के निर्देश दिए। इसके अलावा, ड्रोन से भूमि के नीचे 15 मीटर तक मैपिंग करने के सेंसर की भी खरीद की जाए।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने चंडीगढ़ में दृश्या के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की तीसरी बैठक की अध्यक्षता की। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री ड्रोन इमेजिंग एंड इंफॉर्मेशन सर्विस ऑफ हरियाणा लिमिटेड (दृश्या) के चेयरमैन भी हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि ड्रोन फ्लाइंग के लिए जल्द से जल्द नागर विमानन महानिदेशालय, भारत सरकार से अनुमति की प्रक्रिया पूर्ण की जाए। उन्होंने कहा कि विमानन से जुड़े अनुभवी लोगों की सेवाएं दृश्या को लेनी चाहिएं। बैठक में इस बात की जानकारी दी गई कि दृश्य द्वारा भिवानी जिले के खनन क्षेत्रों डाडम व खानक में वॉल्यूमेट्रिक विश्लेषण के लिए सर्वे का कार्य करने के लिए फिक्सिंग विंग ड्रोन (एफ-90) का उपयोग कर सफलतापूर्वक कार्य किया गया है।

इसके अलावा, बहादुरगढ़ – दौलताबाद हाईटेंशन बिजली लाइन के निरीक्षण का कार्य, करनाल जिले में यमुना नदी के साथ लगते 10 गांवों के 11.55 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में जलभराव क्षेत्र के सर्वे का कार्य भी किया गया है। इतनी ही नहीं, दृश्या द्वारा फरीदाबाद के सेक्टर 15-ए व सेक्टर 75 में तथा हिसार जिले के राखीगढ़ी हेरिटेज क्षेत्र में भी लार्ज स्केल मैपिंग का कार्य किया गया है।

 

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बैठक में अवगत करवाया गया कि राजस्व विभाग के अलावा शहरी स्थानीय निकाय, बिजली, आपदा प्रबंधन, खनन, वन, यातायात, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, कृषि जैसे अन्य विभागों में भी सर्वे के लिए ड्रोन का उपयोग सुनिश्चित किया जाए। इससे शहरी क्षेत्रों में मानचित्रण, भूमि रिकॉर्ड, आपदा प्रबंधन और आपातकालीन सेवाओं, विकास की योजनाओं में मदद मिलेगी। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री की पहल से हरियाणा यूएवी संचालित गवर्नेंस एप्लिकेशन को तीव्र गति प्रदान करने के लिए एक अलग निगम बनाने वाला पहला राज्य है। दृश्या की स्थापना से राज्य में एक अनूठी शुरुआत हुई है, क्योंकि अब ड्रोन की मदद से क्षेत्र के विस्तार का पता लगाने के साथ-साथ अवैध अतिक्रमणों को भी नियंत्रित किया जा सकता है। पहले समय समय पर मैन्युअल सर्वेक्षण किए जाते थे, जिनमें बहुत समय लगता था और अधिक मैनपॉवर की आवश्यकता के साथ साथ खर्चीले भी होते थे।

 

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