DRDO और भारतीय सेना ने ओडिशा तट से क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल प्रणाली के छह उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए

DRDO और भारतीय सेना ने ओडिशा तट से क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल...

(प्रदीप कुमार): रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय सेना ने ओडिशा तट स्थित चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (क्यूआरएसएएम) प्रणाली के छह उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए हैं। उड़ान परीक्षण भारतीय सेना द्वारा मूल्यांकन परीक्षणों के हिस्से के रूप में संचालित किए गए थे।

उड़ान परीक्षण भिन्न परिदृश्यों के अंतर्गत हथियार प्रणालियों की क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए विभिन्न प्रकार के खतरों का अनुकरण करते हुए उच्च गति वाले हवाई लक्ष्यों के विरुद्ध किए गए थे, जिसमें लंबी दूरी की मध्यम ऊंचाई, लघु रेंज, उच्च तुंगता पैंतरेबाज़ी लक्ष्य, पिछे हटते और क्रॉसिंग लक्ष्य के साथ कम रेडार संकेत और त्वरित अनुक्रम में दागी गई दो मिसाइलों के साथ साल्वो लॉन्च शामिल हैं। दिन और रात के ऑपरेशन परिदृश्यों के अंतर्गत प्रणाली प्रदर्शन का भी मूल्यांकन किया गया।

इन परीक्षणों के दौरान, वारहेड श्रृंखला सहित अत्याधुनिक मार्गदर्शन और नियंत्रण विधि-विशेष के साथ हथियार प्रणाली की एकदम सही सटीकता सिद्ध करते हुए मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा किया गया। प्रणाली के प्रदर्शन की पुष्टि आईटीआर द्वारा तैनात टेलीमेट्री, रेडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम (ईओटीएस) जैसे कई रेंज उपकरणों द्वारा लिए गए डेटा से की गई है। प्रक्षेपणों में डीआरडीओ और भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

ये परीक्षण स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) सीकर, मोबाइल लांचर, पूर्णतः स्वचालित कमान और नियंत्रण प्रणाली, निगरानी तथा बहु-प्रकार्य रेडार के साथ मिसाइल सहित सभी स्वदेशी रूप से विकसित उप-प्रणालियों से युक्त अंतिम तैनाती विन्यास में आयोजित किए गए। क्यूआरएसएएम हथियार प्रणाली की विशिष्टता यह है कि यह खोज और ट्रैक क्षमता के साथ आगे बढ़ सकता है और शॉर्ट हॉल्ट पर फायर कर सकता है। यह पहले किए गए गतिशीलता परीक्षणों के दौरान साबित हुआ है।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सफल उड़ान परीक्षणों के लिए डीआरडीओ और भारतीय सेना की सराहना की है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि क्यूआरएसएएम हथियार प्रणाली सशस्त्र सेनाओं के लिए एक उत्कृष्ट बल गुणक साबित होगी। रक्षा विभाग अनुसंधान एवं विकास के सचिव और DRDO के अध्यक्ष ने सफल परीक्षणों से जुड़ी टीमों को बधाई दी और कहा कि यह प्रणाली अब भारतीय सेना में शामिल होने के लिए तैयार है।

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