हरियाणा के खिलाड़ियों का टूटा सपना, राष्ट्रमंडल खेलों की सूची से कुश्ती, निशानेबाजी, तीरंदाजी बाहर

चरखी दादरी(प्रदीप साहू): हरियाणा की पहलवानी का विश्व में ढंका बजता है। इसके लिए प्रदेश सरकार की बेहतर खेल नीति की तारीफ करनी होगी। प्रदेश अनेकों खिलाडिय़ों ने देश-विदेश की धरती पर अपना नाम चमकाया है। चरखी दादरी ही नहीं बल्कि हरियाणा के अनेकों खिलाडिय़ों ने कुश्ती सहित निशानेबाजी और तीरंदाजी में अंतराष्ट्रीय पहचान बनाई है। बावजूद इसके हरियाणा के खिलाडिय़ों का सपना टूट गया है।

हरियाणा की शान कुश्ती को राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर कर दिया गया है। इसके अलावा निशानेबाजी और तीरंदाजी को भी राष्ट्रमंडल खेलों की सूची से हटाया गया है। इसको लेकर खिलाडिय़ों में नाराजगी है। वहीं संबंधित खेलों के प्रशिक्षकों ने भी इस तरह के फैसले को खिलाडिय़ों के लिए नुकसानदायक बताया है। आपको बता दें, चरखी दादरी सहित हरियाणा के उभरते खिलाडिय़ों द्वारा कड़ी मेहनत की जा रही है और इनका सपना कामनवेल्थ गेम्स-2026 मेंं भारत का नाम रोशन करने का है। मेजबान विक्टोरिया ने भारत को बड़ा झटका देते हुए कुश्ती, निशानेबाजी और तीरंदाजी को प्रारंभिक खेल कार्यक्रम सूची से बाहर करने पर जिला के उभरते खिलाडिय़ों के मनोबल कमजोर हुआ है। साथ ही संबंधित खेलों के प्रशिक्षकों ने भी इस तरह के फैसले को खिलाडिय़ों के लिए नुकसानदायक बताया है।

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कुश्ती खिलाड़ी अंजली ने बताया कि वे लगातार मेहनत कर रही हैं और कामनवेल्थ खेलों में हिस्सा लेने का सपना देख रही थी। जैसे ही कामनवेल्थ खेलों की सूची से कुश्ती का नाम हटा तो बेहद दुख हुआ और खेल अभ्यास करने वाले खिलाड़ी अब अखाड़े में ही नहीं दिख रहे हैं। वहीं, तीरंदाजी खिलाड़ी रीतू ने कहा कि कामनवेल्थ खेलों की सूची में खेल हटने के बाद खिलाडिय़ों में काफी मायूशी है। उनका सपना था कि जिला स्तर से आगे बढ़ते हुए देश के लिए कामनवेल्थ खेलों में मेडल जीते, लेकिन अब सपना अधूरा रह गया। सरकार को भी चाहिए कि इस ओर कोई विशेष कदम उठाए और खिलाडिय़ों को फायदा मिले।

कोच प्रविंद्र चावला व याशिन ने निराशा जताते हुए बताया कि कामनवेल्थ हो या ओलंपिक गेम्स भारत ने कुश्ती के अलावा गई खेलों में विश्व भर में अपनी पहचान बनाई है। कुश्ती साहित अन्य खेलों को को राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर करने से खिलाडिय़ों को भारी निराशा है। प्रत्येक खिलाड़ी इसलिए खेलता है कि वह एक दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम चमका सके। इस तरह के फैसले से खिलाडिय़ों का मनोबल कमजोर होता है।

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