अवमानना केस: दया की अपील नहीं, जो भी सजा मिलेगी मंजूर- Prashant Bhushan

नई दिल्ली: प्रशांत भूषण अवमानना मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर सुनवाई टाल दी है। आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रशांत भूषण को लिखित बयान पर फिर से विचार करने को कहा और उन्हें इसके लिए दो दिन का समय दिया है। आज सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि वह हर प्रकार की सजा के लिए तैयार हैं।

भूषण ने कहा मेरे ट्वीट एक नागरिक के रूप में मेरे कर्तव्य को निभाने के लिए था और ये अवमानना के दायरे से बाहर है। उन्होंने कहा कि अगर मैं इतिहास के इस मोड़ पर नहीं बोलता तो मैं अपने कर्तव्य में असफल होता, मैं किसी भी सजा के लिए तैयार हूं जो अदालत देगी, उन्होंने कहा कि माफी मांगना मेरी ओर से अवमानना के समान होगा।

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भूषण ने अपने वकील दुष्यंत दवे के जरिए सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि सजा सुनाने को लेकर होने वाली सुनवाई को पुनर्विचार याचिका पर फैसला आने तक टाल दिया जाए। दवे ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अभी इस केस में पुनर्विचार याचिका दायर करना बाकी है।

इस मांग पर उच्चतम न्यायालय ने भूषण से कहा कि हम आपको विश्वास दिला सकते हैं कि जब तक आपकी पुनर्विचार याचिका पर फैसला नहीं होता, तबतक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। भूषण ने न्यायालय से कहा कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही में सजा पर दलीलें अन्य पीठ को सुननी चाहिए।

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सुप्रीम कोर्ट ने सजा तय करने पर अन्य पीठ द्वारा सुनवाई की भूषण की मांग अस्वीकार कर दी। प्रशांत भूषण ने महात्मा गांधी के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि मैं दया की अपील नहीं करता हूं, मेरे प्रमाणिक बयान के लिए कोर्ट की ओर से जो भी सजा मिलेगी, वह मुझे मंजूर है।

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