नई दिल्ली(प्रदीप कुमार):अफगानिस्तान को लेकर दिल्ली में 8 देशों के NSA की बैठक बुधवार को हुई, जिसमें Delhi Declaration Document लॉन्च किया गया।
इस बैठक में सुरक्षा हालात, उसके क्षेत्रीय, वैश्विक प्रभाव आतंकवाद, कट्टरवाद और ड्रग्स के खतरे, मानवीय सहायता पर बातचीत की गई।
इन देशों के एनएसए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिले। सात देशों में पांच मध्य एशियाई देश हैं और दो में से एक रूस और एक ईरान है।
यह बैठक अफगानिस्तान पर तालिबान की ओर से कब्जा जमाने के बाद पैदा हुए नए संकट को लेकर रखी गई थी।
भारत समेत 8 देशों के NSA ने शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर अफगानिस्तान का समर्थन दोहराया। साथ ही अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप न हो, इस पर भी जोर दिया गया।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए NSA अजित डोभाल ने कहा कि अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम के न केवल उस देश के लोगों के लिए बल्कि उसके पड़ोसियों और क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं।
NSA डोभाल ने कहा कि यह अफगान स्थिति पर क्षेत्रीय देशों के बीच करीबी विचार-विमर्श, अधिक सहयोग और समन्वय का समय है।
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बैठक में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद के खतरों पर विस्तार से चर्चा हुई है। बैठक में अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकियों को पनाह देने, ट्रेनिंग और टेरर फाइनेंसिंग के लिए ना हो, इस पर ज़ोर दिया गया।
एनएसए डायलॉग में अफगानिस्तान को लेकर क्षेत्र में कट्टरपंथ, उग्रवाद, अलगाववाद और मादक पदार्थों की तस्करी के खतरे के खिलाफ सामूहिक सहयोग का आह्वान किया गया है।
एनएसए डायलॉग ने अफगानिस्तान में एक खुली और वास्तव में समावेशी सरकार बनाने की आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें अफगानिस्तान के सभी लोगों की इच्छा और समाज का प्रतिनिधित्व रहे।
इस बैठक में शामिल भारत समेत 8 देशों के एनएसए ने यह सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया कि महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यक समुदायों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न हो।
अफगानिस्तान के लोगों को तत्काल मानवीय सहायता प्रदान करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया गया। इसके साथ-साथ सभी देशों ने कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए और अफगानिस्तान को सहायता प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
इस बैठक में भारत के अलावा जिन सात देश के एनएसए शामिल हुए उसमें रूस, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल रहे।
इस बैठक में पाकिस्तान और चीन भी शामिल होने वाले थे, लेकिन दोनों ही देशों ने बाद में बैठक से किनारा कर लिया। चीन ने तो ठीक दो दिन पहले ही बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया। इस तरह की बैठक पहले भी हो चुकी है।
सितंबर 2018 में पहली बैठक हुई थी, जिसकी मेजबानी ईरान ने की थी। इस बैठक में चीन शामिल हुआ था। इसके बाद दिसंबर 2019 में दूसरी बैठक हुई थी।
इन दोनों बैठकों में पाकिस्तान शामिल नहीं हुआ था। पहले की तरह इस बार भी पाकिस्तान ने वही किया जो पहले से करते आया है।
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