पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा व हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान के नेतृत्व में आज 8 पूर्व विधायकों ने एक साथ कांग्रेस का दामन थामा। इनमें शारदा राठौर, रामनिवास घोड़ेला, नरेश सेलवाल, परमिंदर सिंह ढुल, जिले राम शर्मा, राकेश कंबोज, राजकुमार वाल्मीकि और सुभाष चौधरी शामिल हैं। इनके साथ एलएसपी प्रदेश अध्यक्ष किशनलाल पांचाल ने भी पार्टी छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है।
इस मौके पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा और चौधरी उदयभान ने सभी नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं का कांग्रेस में स्वागत किया। साथ ही उन्हें पूरे मान-सम्मान का भरोसा दिलाया। हुड्डा ने कहा कि एकसाथ इतनी बड़ी तादाद में दिग्गज नेताओं की जॉइनिंग जनता की भावनाओं को प्रतिबिंबित कर रही है। इससे स्पष्ट है कि अब जन भावनाएं कांग्रेस के साथ हैं। कांग्रेस को जनता का तगड़ा रिस्पॉन्स मिल रहा है क्योंकि भविष्य के लिए यही एकमात्र विकल्प है। आने वाला समय कांग्रेस का है।
इनमें दो कंबोज, एक ब्राह्मण, एक जाट, दो अनुसूचित जाति वर्ग, एक राजपूत, एक पांचाल और एक प्रजापति समाज से संबंध रखते हैं। यह ज्वाइनिंग स्पष्ट संकेत दे रही है कि सभी वर्ग कांग्रेस के साथ हैं। इनके आने से पार्टी को और मजबूती मिलेगी। अब सब मिलकर संगठन को आगे बढ़ाने के लिए मेहनत करेंगे।
कांग्रेस ज्वाइन करने वालों नेताओं का परिचय
1. शारदा राठौर
शारदा राठौर फरीदाबाद जिले की बल्लभगढ़ सीट से 2005 से 2009 तक विधायक रहीं। 2005 के चुनाव में वो 34,076 मतों के अंतर से चुनाव जीतीं। इसके बाद 2009 में इनकी जीत का अंतर 23,844 वोटों का था| पिछले विधान सभा चुनाव से पहले अगस्त 2019 में वो कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं| उनके कांग्रेस में वापिस आने से पूरे फरीदाबाद क्षेत्र में पार्टी को मजबूती मिलेगी|
2. राम निवास घोड़ेला
2009 विधानसभा चुनाव में रामनिवास घोड़ेला बरवाला विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे| 2019 में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ा था।
3. नरेश सेलवाल
नरेश सेलवाल हिसार जिले की उकलाना (सुरक्षित) से 2009 में विधायक चुने गए| क्षेत्र की वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए नरेश सेलवाल के वापिस पार्टी में आने से कांग्रेस को अनुसूचित जाति वर्ग में और मजबूती मिलेगी और समाज में पार्टी का विस्तार होगा|
4. परमिंदर सिंह ढुल
परमिंदर सिंह ढुल 2009 और 2014 में जींद जिले की जुलाना सीट से इनेलो की टिकट पर विधायक चुने गए और दोनों चुनाव में जीत का अंतर 10,000 मतों से अधिक था| 2019 में बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और 37,749 वोट प्राप्त कर दूसरे स्थान पर रहे|
5. जिले राम शर्मा
पं. जिले राम शर्मा 2009 में करनाल जिले की असंध सीट से विधायक रहे। पं. जिले राम शर्मा की क्षेत्र और ब्राह्मण समाज में मजबूत पकड़ है।
6. राकेश कंबोज
राकेश कंबोज 2005 में करनाल जिले की इंद्री सीट से विधायक रहे| हजकां के प्रत्याशी के रुप में 2009 में 26,153 वोट और 2014 में 18,892 वोट लेकर वो इसी सीट से तीसरे स्थान पर रहे| 2019 में निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए 46,659 वोट लिए और दूसरे स्थान पर रहे।
7. राजकुमार वाल्मीकि
राजकुमार वाल्मीकि 1985 से 1991 तक यूथ कांग्रेस में सेक्रेटरी पद पर रहे। इसके बाद जुंडला विधानसभा क्षेत्र से 1991 से 1996 तक विधायक रहे तथा मुख्य संसदीय सचिव के पद पर आसीन रहे|
1998 में लोकसभा अंबाला से चुनाव लड़े, जिसमें उन्हें करीब 1,75000 वोट प्राप्त किए| 2014 में लोकसभा क्षेत्र अंबाला से चुनाव लड़े, जिसमें उन्हें करीब 3 लाख वोट प्राप्त हुए| 2006 से 2014 तक scheduled caste finance and development corporation के चेयरमैन पद पर रहे। आज आम आदमी पार्टी को छोड़ कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए| फिलहाल राजकुमार वाल्मिकि आम आदमी पार्टी के अंबाला से प्रभारी थे।
8. सुभाष चौधरी
सुभाष चौधरी (पूर्व मंत्री) विधानसभा क्षेत्र जगाधरी से 1996 से 2000 विधायक और मंत्री रहे। 2005 से 2009 तक विधायक रहे।
9. किशन लाल पांचाल
किशन लाल पांचाल (प्रदेश अध्यक्ष लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी) ने रोहतक से 2019 में लोकसभा व बहादुरगढ़ से विधानसभा चुनाव लड़ा|अब किशन लाल पांचाल लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी छोड़ कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए हैं।
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गौरतलब है कि हरियाणा में भले ही चुनाव दूर हैं लेकिन नए प्रदेश अध्यक्ष और चार कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद कांग्रेस पार्टी राज्य में काफी एक्टिव हो गई है। खास बात ये है कि इनमें से कई नेता पहले भी कांग्रेस पार्टी में हुआ करते थे लेकिन किसी ना किसी कारण के चलते इन नेताओं ने पार्टी छोड़ दी थी और इनमें से कुछ दूसरे दलों में जा चुके थे तो कुछ अपने घरों में सीमित हो गए थे।
पार्टी आलाकमान की ओर से भूपेंद्र सिंह हुड्डा को राज्य की कमान दे दी गई हो लेकिन अब उनके सामने राज्य में पार्टी को और मजबूत बनाने के साथ ही नाराज नेताओं को भी मनाने की चुनौती है जिसके जवाब में अब रूठे हुए नेताओं को कांग्रेस मनाकर पार्टी में एक बार फिर शामिल करवा रही है।