जम्मू कश्मीर से अलग होने के बाद लद्दाख ने इस साल पहली बार अपना स्वतंत्रता दिवस एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में मनाया। ऐतिहासिक पोलो मैदान में लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर ने आज सुबह 10 बजे तिरंगा फहराया।
देश का सबसे युवा केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख आज 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस क्षेत्र में COVID-19 महामारी के कारण LG RK माथुर द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को फहराने और राष्ट्रगान के समापन के साथ जश्न मनाया गया। हालांकि, लेह और करगिल का प्रतिनिधित्व करने वाले सांस्कृतिक ऑडियो विजुअल शो व्यवस्था स्थल पर दिखाया गया।
इसी तरह, लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद, लेह और कारगिल CECs Gyal P Wangyal और फिरोज अहमद खान ने भी विभिन्न कार्यों में तिरंगा फहराया गया।
गौरतलब है कि पिछले साल 31 अक्टूबर को केंद्र की मोदी सरकार ने लद्दाख और जम्मू कश्मीर को अलग कर दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने की घोषणा की थी। इसके पहले केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया था। इसके बाद दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के बीच कई चीजें बांटी गई तो कई चीजों पर समान रूप से अधिकार दिया गया। इन अधिकारों में 1947 में जम्मू कश्मीर में ये 14 जिले थे। कठुआ, जम्मू, उधमपुर, रियासी, अनंतनाग, बारामूला, पुंछ, मीरपुर, मुजफ्फराबाद, लेह और लद्दाख, गिलगिट, गिलगिट वजारत, चिलहास और ट्राइबल ट्रेरिट्री।’
वहीं साल 2019 तक पूर्ववर्ती जम्मू – कश्मीर राज्य की सरकार ने इन 14 जिलों के क्षेत्रों को पुनर्गठित करके 28 जिले बना दिए थे जिनमें कुपवाड़ा, बांदीपुर, गांदेरबल, श्रीनगर, बड़गाम, पुलवामा, शोपियां, कुलगाम, राजौरी, रामबन, डोडा, किश्तवाड़, साम्बा और करगिल शामिल थे।
इनमें से करगिल जिले को लेह और लद्दाख जिले के क्षेत्र से अलग करके बनाया गया था। रिलीज में कहा गया था कि राष्ट्रपति ने 1947 के लेह और लद्दाख जिलों के बाकी क्षेत्रों के अलावा 1947 के गिलगित, गिलगित वजारत, चिल्हास और ट्राइबल टेरिटरी जिलों के क्षेत्रों को समावेशित करते हुए जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (कठिनाइयों को हटाना) दूसरे आदेश, 2019 द्वारा नए लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के लेह जिले को परिभाषित कर दिया है।
वहीं दूसरी ओर भारत के लिए लद्दाख की अहमियत की बात की जाए तो लद्दाख भारत के लिए काफी अहम है क्योंकि यहीं से ही चीन की सीमा काफी पास है और फिलहाल भारत और चीन के बीच तनाव के कारण भी यहां पर सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी है और भारतीय सेना के जवान लद्दाख होते हुए ही चीन के साथ लगी सीमा पर जा रहे हैं।
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