नई दिल्ली (अनिल सिंह की रिपोर्ट)- दिल्ली विद्युत नियामक आयोग ने शुक्रवार को 2020-21 के लिए बिजली की नयी दरें घोषित कीं जिसमें लाखों उपभोक्ताओं को राहत देते हुए कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर कोई बढ़ोतरी नहीं की गयी है। लेकिन उपभोक्ताओं पर 3.80 से 5 प्रतिशत तक पेंशन निधि अधिभार के जरिये दिल्ली वालों की जेब पर जोरों का झटका धीरे से दिया है। बीजेपी का कहना है कि केजरीवाल चुनाव से पहले पानी माफ बिजली हाफ का नारा देते थे। कहा है केजरीवाल की बिजली हाफ।
कोरोना काल मे डीईआरसी ने बिजली की दरों में तो बढ़ोतरी नहीं हुई है।लेकिन पेंशन ट्रस्ट अधिभार ज्यादा चुकाना होगा। दरअसल सेवानिवृत्त बिजली कर्मियों को पेंशन देने का भार उपभोक्ताओं को अब ज्यादा उठाना होगा। अब तक उपभोक्ताओं से बिजली बिल का 3.8 फीसद पेंशन अधिभार वसूला जाता था। अब इसे बढ़ाकर पांच फीसदी कर दिया गया है। इस पर बीजेपी का आरोप है कि पेंशन का पैसा सरकार के बजट में शामिल होता है। ऐसे में सरकार को पेंशन का खर्चे को उठाना चाहिए। जबकिं केजरीवाल सरकार ये बोझ जनता की जेब पर डाल रही है।
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दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने शुक्रवार की शाम हिंदी में ट्वीट कर दिल्ली की जनता को बधाई दी।एक तरफ़ जहां पूरे देश में साल दर साल बिजली की दरें बढ़ रहीं है।वही दिल्ली में लगातार छठे साल बिजली की दर नहीं बढ़ने दी और कुछ क्षेत्र में दर कम भी की। यह एतिहासिक है।यह इसलिए हो रहा है क्योंकि आपने दिल्ली में एक ईमानदार सरकार बनाई.। केजरीवाल के इस ट्वीट पर दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी का कहना है कि केजरीवाल जो कहते वो कभी करते नही। अगर बिजली सस्ती देखनी है जो जरा यूपी की बिजली दरों पर नजर डाल लें केजरीवाल।
केजरीवाल सरकार इस बात से खुश हो रही है कि वो पिछले 6 साल से दिल्ली वालों को सस्ते में असली दे रही है। विपक्ष इस बात को लेकर खुश है कि वो बिजली के बिलों पर लग रहे फिक्स चार्ज को लेकर लगातार सरकार को घेरने में लगा है। ऐसे में दोनों की सियासत जारी है। अब ये जनता को तय करना है कि आखिर उसे बिजली के बिलो से किस तरीके का करंट लग रहा हैं।
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