चैत्र नवरात्रि की पंचमी तिथि 17 अप्रैल को है। यह नवरात्र का पांचवां दिन है। इस दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता का पूजन होता है।
धार्मिक मान्यता है कि स्कंदमाता की आराधना करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। संतान प्राप्ति के लिए स्ंकदमाता की आराधना करना लाभकारी माना गया है। माता को लाल रंग प्रिय है इसलिए इनकी आराधना में लाल रंग के पुष्प जरूर अर्पित करना चाहिए।
नवरात्रि के पांचवे दिन नहाने के बाद स्कंदमाता का स्मरण करें, इसके पश्चात स्कंदमाता को अक्षत्, धूप, गंध, पुष्प अर्पित करें. उनको बताशा, पान, सुपारी, लौंग का जोड़ा, किसमिस, कमलगट्टा, कपूर, गूगल, इलायची आदि भी चढ़ाएं।
फिर स्कंदमाता की आरती करें, स्कंदमाता की पूजा करने से भगवान कार्तिकेय भी प्रसन्न होते हैं। भगवान स्कंद ‘कुमार कार्तिकेय’ नाम से भी जाने जाते हैं।
ये प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे. पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है। इन्हीं भगवान स्कंद की माता होने के कारण माँ दुर्गाजी के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार स्कंदमाता ही हिमालय की पुत्री पार्वती हैं, जिन्हें माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है।
स्कंदमाता कमल के पुष्प पर अभय मुद्रा में होती हैं, मां रूप बहुत सुंदर है। उनके मुख पर तेज है, इनका वर्ण गौर है। इसलिए इन्हें देवी गौरी भी कहा जाता है।