लोकसभा में सोमवार को विपक्ष का व्यवहार बदला–बदला सा नजर आया। विपक्षी दलों के सांसदों के हाथों में ना तो तख्तियां थीं और ना ही सदन में शोर–शराबा हो रहा था। सभी दलों के सांसद स्पीकर ओम प्रकाश बिरला को सुन रहे थे और सदन में स्पीकर संसद की परंपराओं को याद दिला रहे थे। News Hindi Today,
दोपहर 2 बजे जैसे ही सदन की शुरूआत हुई वैसे ही स्पीकर ने सांसदों को पंरपराओं की याद दिलाते हुए कहा कि पिछले दिनों इस सदन में हुई घटनाओं ने हम सबको आहत किया है। मुझे भी आहत किया है और देश की जनता को भी इन सारी घटनाओं को देखकर पीड़ा पहुंची है। माननीय सदस्यगण, देश की सर्वोच्च संस्था संसद है और इस संसदीय पंरपरा पर हम सबको गर्व है। इस पंरपरा में चर्चा, संवाद और सकारात्मक बहस से इस सदन की प्रतिष्ठा स्थापित की गई है। हमारे पूर्ववर्ती अध्यक्षों ने और सभी सदन के नेताओं ने सामूहिक रूप से हमेशा इस सदन की उच्च मर्यादाओं और पंरपरा का पालन करते हुए इसकी प्रतिष्ठा को बढ़ाया है। इस सदन की रक्षा करना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। विषयों पर सहमति–असहमति भी हो सकती है। बहस करते समय, चर्चा करते समय कई मुद्दों पर हमारी संसदीय पंरपराओं में हमेशा तीखे वाद–विवाद हुए हैं, चर्चा भी हुई है लेकिन सदन की गरिमा हमेशा हमने बना कर रखी है। मेरा भी आपसे आगृह है कि चर्चा हो या मत की भिन्नता हो तो बैठकर चर्चा की जाए लेकिन सदन चले ये सभी माननीय सदस्य चाहते हैं।
लोकसभा में विभिन्न मुद्दों पर हंगामे के दौरान तख्तियां दिखाकर प्रदर्शन करने और आसन की अवमानना करने के मामले में गत 25 जुलाई को कांग्रेस के इन चार सदस्यों को चालू सत्र की शेष अवधि के लिए सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया था।