NIA और सहयोगी एजेंसियों ने टेरर लिंक के चलते ‘पीएफआई’ के करीब एक दर्जन राज्यों में स्थित कार्यालयों पर छापेमारी की

(प्रदीप कुमार):  राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए और ईडी ने आतंकवादियों का कथित तौर पर समर्थन करने वाले व्यक्तियों, पीएफआई यानि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया सहित अन्य समूहों के खिलाफ आज बड़े पैमाने पर देशव्यापी छापेमारी अभियान शुरू किया। एक अधिकारी के मुताबिक ‘अब तक की सबसे बड़ी जांच’ के तहत कथित तौर पर आतंकवादियों को धन मुहैया कराने, उनके लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करने और लोगों को प्रतिबंधित संगठनों से जुड़ने के लिए बरगलाने में शामिल व्यक्तियों के परिसरों पर छापे मारे गए हैं। एनआईए की यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है।

वहीं दिल्ली में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने PFI पर एनआईए के छापे को लेकर NSA, गृह सचिव और डीजी एनआईए समेत सीनियर अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की। इस रेड पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल स्वयं नजर रख रहे हैं। NSA ने सबसे पहले एनआईए डीजी व दूसरी केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों से कहा था कि आतंकी गतिविधियों में संलिप्त संगठनों की कमर तोड़नी है, तो उनकी फंडिंग पर वार करो। इसके बाद केंद्रीय एजेंसियों ने कश्मीर, नक्सल प्रभावित क्षेत्र और उत्तर पूर्व के संगठनों पर वार शुरू किया था।

 

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जब देशभर में पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी चल रही थी तो एनएसए अजीत डोभाल, एनआईए चीफ और आईबी के अधिकारियों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की । पीएफआई के मामले में जांच एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि इस संगठन की गतिविधियों पर लंबे समय से नजर रखी जा रही थी। NIA और ED ने 13 राज्यों में छापे मारे हैं। इनमें केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, असम, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र शामिल हैं।

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई का गठन 17 फरवरी 2007 को हुआ था। ये संगठन दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके बना है। 2017 में NIA ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। NIA जांच में इस संगठन के कथित रूप से हिंसक और आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने के बात आई थी। NIA के डोजियर के मुताबिक यह संगठन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। यह संगठन मुस्लिमों पर धार्मिक कट्टरता थोपने और जबरन धर्मांतरण कराने का काम करता है।

पिछले साल फरवरी में प्रवर्तन निदेशालय ED ने PFI और इसकी स्टूडेंट विंग कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया CFI के पांच सदस्यों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में चार्जशीट दायर की थी। ED की जांच में पता चला था कि PFI का राष्ट्रीय महासचिव के ए रऊफ गल्फ देशों में बिजनेस डील की आड़ में पीएफआई के लिए फंड इकट्ठा करता था। ये पैसे अलग-अलग जरिए से पीएफआई और CFI से जुड़े लोगों तक पहुंचाए गए।

जांच एजेंसी के मुताबिक लगभग 1.36 करोड़ रुपये की रकम आपराधिक तरीकों से प्राप्त की गई। इसका एक हिस्सा भारत में पीएफआई और सीएफआई की अवैध गतिविधियों के संचालन में खर्च किया गया। सीएए के खिलाफ होने प्रदर्शन, दिल्ली में 2020 में हुए दंगों में भी इस पैसे के इस्तेमाल की बात सामने आई थी। पीएफआई द्वारा 2013 के बाद पैसे ट्रांसफर और कैश डिपॉजिट करने की गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं। जांच एजेंसी का कहना है कि भारत में पीएफआई तक हवाला के जरिए पैसा आता है।

 

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