यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में लव जिहाद के हवाले से एक कानून पारित किया था लेकिन लगातार इसकी कार्यप्रणाली के चलते अब इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं जिसके चलते 104 पूर्व आईएएस ने सीएम योगी से प्रावधान को हटाने की मांग करते हुए एक पत्र लिखा है जिसमें सभी घटनाओं का जिक्र किया गया है कि क्यों इस प्रावधान पर विचार करने की आवश्यकता है।
पत्र लिखने की क्या है वजह –
आईएएस का पत्र के माध्यम से कहना है कि यह शहर में कट्टरता और विभाजन को बढ़ावा दे रहा है क्योकि इस प्रावधान के तहत एक प्रकार के समुदायों को परेशान किया जा रहा है ।यूपी के मुरादाबाद में इसी महीने एक मामला सामने आया है जिसमें अल्पसंख्यकों को बजरंग दल द्धारा कथित रुप से दोषी ठहराया गया जिस पर पुलिस मूकदर्शक बनी रही और उत्पीड़ित दंपत्ति से पूछताछ करती रही जिसके दौरान महिला का गर्भपात हो गया । इस घटना का जिक्र भी पत्र में किया गया है ।
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इसके अलावा पिछले हफ्ते दो किशोरों को पीटा गया और थाने ले जाकर लव जिहाद का मामला दर्ज कर दिया गया। एक किशोर पर 16 साल की लड़की का जबरन धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगाकर पुलिस ने उसे एक हफ्ते तक जेल में रखा बावजूद इसके कि लड़की और उसकी मां दोनों इस आरोप को गलत बता रही थी ।
आईएएस का कहना है कि इस अध्यादेश का उपयोग एक छड़ी की तरह उन लोगो पर किया जा रहा है जो मुस्लिम है या महिलाएं है जो सामाजिक दायरे से निकल कर अपनी इच्छानुसार जीने का प्रयास कर रहे हैं । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी एक अंतरजातीय मामले में सुनवाई के दौरान कहा था कि महिला एक व्यस्क है और उसे अपनी शर्तों के साथ जीवन जीने का अधिकार है । इससे पहले चार पूर्व न्यायधीशों द्दारा भी इस अध्यादेश की आलोचना की गई थी ।