राज्यसभा में पारित हुए 3 लेबर कोड बिल, जानिए क्या हैं ये तीनों बिल ?

नई दिल्ली (रिपोर्ट- प्रदीप कुमार): विपक्षी दलों के सदन की कार्यवाही के बॉयकॉट के बावजूद राज्यसभा में बुधवार को तीन प्रमुख लेबर कोड बिलों को पारित कर दिया गया है। नए श्रम कानून से देश के संगठित व असंगठित दोनों ही प्रकार के श्रमिकों को कई प्रकार की नई सुविधाएं मिलेंगी वही नियोक्ताओं को भी फायदा मिलेगा। ये नए श्रम कानून लोकसभा में पहले ही पारित हो चुके थे।

जिन तीन प्रमुख श्रम सुधार विधेयकों को मंजूरी दी गई हैं उसके तहत कंपनियों को बंद करने की बाधाएं खत्म होंगी और अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की इजाजत के बिना कर्मचारियों को निकालने की अनुमति होगी। राज्यसभा में ध्वनि मत से औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा पर शेष तीन श्रम कानूनों को पारित किया गया।

श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने तीनों श्रम सुधार विधेयकों पर हुई बहस का जवाब देते हुए कहा कि श्रम सुधारों का मकसद बदले हुए कारोबारी माहौल के अनुकूल पारदर्शी प्रणाली तैयार करना है।उन्होंने यह भी बताया कि 16 राज्यों ने पहले ही अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की अनुमति के बिना फर्म को बंद करने और छंटनी करने की इजाजत दे दी है। गंगवार ने कहा कि रोजगार सृजन के लिए यह उचित नहीं है कि इस सीमा को 100 कर्मचारियों तक बनाए रखा जाए, क्योंकि इससे नियोक्ता अधिक कर्मचारियों की भर्ती से कतराने लगते हैं और वे जानबूझकर अपने कर्मचारियों की संख्या को कम स्तर पर बनाए रखते हैं।

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नए श्रम कानून में सभी श्रमिकों को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य होगा। उनके वेतन का डिजिटल भुगतान करना होगा।साल में एक बार सभी श्रमिकों का हेल्थ चेकअप भी अनिवार्य किया गया है।वहीं, उद्यमियों के कारोबार को आसान बनाने के लिए कई प्रावधान लाए गए हैं। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने बताया कि वर्तमान कानून में दुर्घटना होने की स्थिति में जुर्माने की राशि पूरी तरह से सरकार के खाते में जाती थी, लेकिन नए कानून में जुर्माने की राशि का 50 प्रतिशत पीड़ित को मिलेगा।

लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में पास हुए ये तीन श्रम विधेयक है-

(1) इंडस्ट्रियल रिलेशन बिल- 2020 (Industrial Relations Code 2020)

बिना मंजूरी 300 से कम कर्मचारी वाली कंपनियों कर सकेंगे छंटनी- अब जिन कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या 300 से कम है, वे सरकार से मंजूरी लिए बिना ही कर्मचारियों की छंटनी कर सकेंगी।अब तक ये प्रावधान सिर्फ उन्हीं कंपनियों के लिए था, जिसमें 100 से कम कर्मचारी हों। अब नए बिल में इस सीमा को बढ़ाया गया है।

छंटनी या शटडाउन की इजाज़त उन्हीं ऑर्गनाइज़ेशन को दी जाएगी, जिनके कर्मचारियों की संख्या पिछले 12 महीने में हर रोज़ औसतन 300 से कम ही रही हो। सरकार अधिसूचना जारी कर इस न्यूनतम संख्या को बढ़ा भी सकती है। इसके अलावा ये बिल कहता है कि किसी भी संगठन में काम करने वाला कोई भी कामगार बिना 60 दिन पहले नोटिस दिए हड़ताल पर नहीं जा सकता।फिलहाल ये अवधि छह हफ्ते की है।

(2) ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल- 2020 (Occupational Safety, Health & Working Conditions Code)

ये बिल कंपनियों को छूट देगा कि वे अधिकतर लोगों को कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर नौकरी दे सकें। साथ ही कॉन्ट्रैक्ट को कितनी भी बार और कितने भी समय के लिए बढ़ाया जा सकेगा। इसके लिए कोई सीमा तय नहीं की गई है। वो प्रावधान भी अब हटा दिया गया है, जिसके तहत किसी भी मौजूदा कर्मचारी को कॉन्ट्रैक्ट वर्कर में तब्दील करने पर रोक थी।

महिलाओं के लिए वर्किंग आवर सुबह 6 बजे से लेकर शाम 7 बजे के बीच ही रहेगा। शाम 7 बजे शाम के बाद अगर काम कराया जा रहा है, तो सुरक्षा की जिम्मेदारी कंपनी की होगी। कोई भी कर्मचारी एक हफ्ते में छह दिन से ज्यादा काम नहीं कर सकता। ओवरटाइम कराने पर उस दिन का दोगुना पैसा।बिना अपॉइंटमेंट लेटर के किसी की भर्ती नहीं।

(3) सोशल सिक्योरिटी बिल- 2020 (Code On Social Security 2020)

अब एक साल में मिल सकेगी ग्रैच्युटी – सोशल सिक्‍योरिटी कोड 2020 के नए प्रावधानों में बताया गया है कि जिन लोगों को फिक्सड टर्म बेसिस पर नौकरी मिलेगी। उन्हें उतने दिन के आधार पर ग्रेच्युटी पाने का भी हक होगा।इसके लिए पांच साल पूरे की जरुरत नहीं है।अगर आसान शब्दों में कहें तो कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम करने वालों को उनके वेतन के साथ-साथ अब ग्रेच्युटी का फायदा भी मिलेगा। वो कॉन्ट्रैक्ट कितने दिन का भी हो।

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अगर कर्मचारी नौकरी की कुछ शर्तों को पूरा करता है तो ग्रेच्‍युटी का भुगतान एक निर्धारित फॉर्मूले के तहत गारंटीड तौर पर उसे दिया जाएगा।ग्रेच्युटी का छोटा हिस्सा कर्मचारी की सैलरी से कटता है, लेकिन बड़ा हिस्सा कंपनी की तरफ से दिया जाता है।मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक अगर कोई शख्स एक कंपनी में कम से कम 5 साल तक काम करता है तो वह ग्रेच्युटी का हकदार होता है।

पिछले कुछ साल से वर्किंग यूनियंस की तरफ से लगातार ये मांग उठ रही थी कि नौकरी करने के नए तौर-तरीकों में पांच साल का वक्त बहुत ज़्यादा है,इसे एक साल या तीन साल किया जाए। इसी के बाद ये संशोधन किया जा रहा है। इन तीनों बिलों को कल लोकसभा में पारित किया गया था आज यह बिल राज्यसभा से भी पारित हो गए है।

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