नई दिल्ली: बैंक कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ पूरे देश देशव्यापी हड़ताल करने का फैसला किया है, सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण के विरोध मे देश भर में करीब 9 लाख कर्मचारी हड़ताल पर हैं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने के विनिवेश लक्ष्य के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी, जिसका कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। इसके चलते देशभर के बैंकों का काम-काज बुरी तरह प्रभावित हुआ है। बैंकों की हड़ताल से लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
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हड़ताल का आह्वान यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस द्वारा किया गया है, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के तहत बैंकों की 9 यूनियन आती हैं यूनियनों की तरफ से बताया गया की सरकार उन्हें आश्वासन देती है कि वे संसद में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2021 को पेश करने को टाल देंगे, तो वे हड़ताल टाल देते लेकिन सरकार ने ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिया और इसलिए आज दूसरे दिन भी हड़ताल जारी है।
हड़ताल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की रक्षा और संरक्षण और बैंकों के निजीकरण का विरोध करने के लिए है, आप को बता दें की बैंकिंग अधिनियम विधेयक, 2021 को केंद्र सरकार ने संसद के मौजूदा सत्र में पेश करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया हुआ है, जिसका सभी बैंक कर्मचारी विरोध कर रहे हैं फिलहाल बैंकों की हड़ताल के चलते आम आदमी को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और वहीं कर्मचारियों का कहना है, कि अगर सरकार हमारी मांगे नहीं मानती है तो आगे भी इस तरह की हड़ताल होंगी ।