यूपी के चौथे चरण के मुकाबले में कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर

प्रदीप कुमार की रिपोर्ट यूपी में जिन नौ जिलों में आज चौथे चरण का मतदान हुआ है,उनमें लखनऊ,बांदा, फतेहपुर, हरदोई,लखीमपुर खीरी, रायबरेली,सीतापुर,पीलीभीत और उन्नाव जिले शामिल हैं। इन जिलों की 59 सीटों पर कुल 624 प्रत्याशी मैदान में हैं।भले ही वोट इन प्रत्याशियों के लिए पड़ेंगे,लेकिन इस चुनाव में इन प्रत्याशियों के अलावा कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है।

चौथे चरण में कुल 2.13 करोड़ मतदाता 624 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करेगे।मतदाताओं में 1.14 करोड़ पुरुष और 99 लाख महिला हैं। इस बार प्रत्याशियों में 91 महिला भी किस्मत आजमा रही हैं। यूपी के चौथे चरण के इस मुकाबले में उम्मीदवारों के साथ दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर पर लगी है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ से सांसद भी हैं। ऐसे में लखनऊ की सभी नौ सीटों के अलावा आस-पास यानी रायबरेली और सीतापुर की सीटों को भी जीताने का दबाव है। यही कारण है कि रक्षामंत्री पिछले दो महीने के अंदर करीब 15 दिन लखनऊ और आस-पास के जिलों में सभाएं कर चुके हैं।
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इसके अलावा केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अमेठी से सांसद हैं, लेकिन अमेठी से सठे रायबरेली में भी उनकी काफी हनक है। राहुल गांधी को अमेठी से हराने के बाद स्मृति की जिम्मेदारियां बढ़ गईं हैं। ऐसे में रायबरेली की सभी पांच सीटों पर भाजपा की जीत स्मृति की छवि को और मजबूत बना सकती है।
केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति फतेहपुर से सांसद भी हैं। साध्वी पर फतेहपुर की सभी सीटों को जीतवाने का दबाव तो है ही, साथ में बांदा की सीटों की जिम्मेदारी भी साध्वी पर है। साध्वी हमीरपुर की रहने वाली हैं, ऐसे में उनका असर बांदा में भी काफी देखने को मिलता है।
केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी लखीमपुर खीरी से सांसद भी हैं। पिछले दो महीने से वह काफी चर्चा में हैं। टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाने का आरोप है। विपक्ष ने इस मुद्दे को न केवल लखीमपुर खीरी में, बल्कि पूरे प्रदेश में जोरशोर से उठाया है। ऐसे में टेनी पर लखीमपुर खीरी की सीटों को जीताने का काफी दबाव है।
केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर लखनऊ की मोहनलालगंज सीट से सांसद हैं। ऐसे में लखनऊ की सीटों को जीतवाने का बोझ उनपर भी है। कौशल के परिवार के दो सदस्य खुद विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में ये चुनौती और भी बढ़ जाती है।
राज्यसभा सांसद और दिग्गज नेता नरेश अग्रवाल की साख भी इस चुनाव में दांव पर है। हरदोई से उनके बेटे नितिन अग्रवाल खुद मैदान में हैं। ऐसे में नरेश हर हालत में यह सीट अपने बेटे को जीतवाना चाहेंगे।
2017 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत हासिल करने वाले नितिन अग्रवाल इस बार बीजेपी से चुनाव लड़ रहे हैं।
कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी के सामने सबसे बड़ी चुनौती रायबरेली की सीटों पर जीत हासिल करने की है। पिछली बार रायबरेली की दो सीटें कांग्रेस के कब्जे में गईं थीं, लेकिन इस बार दांव उलटा है। रायबरेली की विधायक अदिति सिंह ने कांग्रेस छोड़कर अब भाजपा का दामन थाम लिया है। ऐसे में सोनिया और कांग्रेस की पूरी टीम वापस इस सीट को जीतना चाहेगी। रायबरेली और आस-पास की सीटों को जीतवाने का प्रियंका गांधी पर भी काफी दबाव है।

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