किसान आंदोलन का केंद्र बना सिरसा, चौथे दिन योगेंद्र यादव के नेतृत्व में धरना जारी

सिरसा (रिपोर्ट- सतनाम सिंह): मोदी सरकार के  तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सिरसा  शहर  किसान आंदोलन का  ग्राउंड जीरो बनता जा रहा है। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई से नाराज किसान रणनीति के तहत  लामबंद हो कर आंदोलन तेज कर रहे हैं । सिरसा में किसानों का सरकार के खिलाफ चौथे दिन भी धरना जारी है। किसानों ने केंद्र और हरियाणा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी करते हुए कृषि कानूनों को रद्द  मांग की ।
किसानों का धरना प्रदर्शन स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष योगेंद्र यादव और हरियाणा किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष प्रलाह्द सिंह भारूखेड़ा के नेतृत्व में चल रहा है।  किसान डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और कैबिनेट मंत्री रणजीत सिंह चौटाला के इस्तीफ़े की मांग कर रहे है। किसानों ने कहा कि अगर दुष्यंत चौटाला और रणजीत सिंह चौटाला किसानों के हितों की बात करते है तो तुरंत सरकार से इस्तीफ़ा देकर किसानों का समर्थन करे। किसानों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं करती तब तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।
मीडिया से बातचीत करते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि 17 किसान सगंठनों ने केंद्र और हरियाणा सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया है और हरियाणा भर के किसान सिरसा में आंदोलन में जल्द शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि किसानों ने पंजाब में अकाली दल पर दवाब बनाकर पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया है वही दवाब हरियाणा में भाजपा के गठबंधन जजपा पर बनाया जाएगा।

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उन्होंने कहा कि दुष्यंत चौटाला और रणजीत सिंह चौटाला को ही तय करना है कि किसानों के सहयोग से विधायक बनने वाले दुष्यंत चौटाला और रणजीत सिंह चौटाला को अपनी कुर्सी से ज्यादा प्यार है तो वे अपनी कुर्सी पर ही कब्ज़ा करके रखे लेकिन किसानों की बात करना छोड़ दे नहीं तो कुर्सी छोड़कर किसानों को समर्थन करे। उन्होंने कहा कि सिरसा में किसानों ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बैकफुट पर आ गई है जिसके तहत सरकार ने पंजाब के किसानों को बातचीत के लिए कल बुलाया था लेकिन किसानों ने सरकार की बातचीत के न्यौते को मंज़ूर नहीं किया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार 2 दिन में इन कानूनों को बना सकती है तो 2 घंटे में हटा भी सकती है।
उन्होंने ये भी कहा कि सरकार अगर किसानों को इन कानूनों को रद्द करने का आश्वासन देती है तो किसान बातचीत के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि सरकार कानून में MSP देने को लिख कर दे तो किसान धरना खत्म कर देंगे। उन्होंने कहा कि 2006 से  बिहार में सरकार ने इस प्रोजेक्ट को लागू किया था लेकिन सरकार का यह प्रोजेक्ट कामयाब नहीं हो पाया और बिहार में मंडी ख़त्म हो गई और वह के लोग यहाँ मजदूरी करने आते है |

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