हरियाणा में बिजली संकट के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने खट्टर-चौटाला सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने आरोप लगाया कि खेदड़ में एक 600 मेगावाट की एक यूनिट पिछले 19 महीने से और झज्जर में 660 मेगावाट की एक यूनिट पिछले 7-8 महीने से बंद पड़ी है। खट्टर-चौटाला सरकार को यह भी बताना चाहिए की वे 2008 में हरियाणा सरकार के अडानी ग्रुप के साथ हुए दीर्घकालीन समझौता के अनुसार पिछले एक साल से अडानी ग्रुप से 3.36 रुपये प्रति यूनिट की दर से 1,421 मेगावाट बिजली क्यों नहीं ली जा रही है। सस्ती बिजली के समझौते के बावजूद हरियाणा सरकार अन्य विकल्पों से पांच-छह गुणी महंगी बिजली क्यों खरीद कर प्रदेश की जनता पर बोझ क्यों डाल रही है? अडानी समूह पर इस मेहरबानी का कारण क्या है?
सुरजेवाला ने कहा कि पिछले आठ सालों में इस सरकार ने प्रदेश में एक भी नया बिजली संयत्र नहीं लगाया पर पानीपत में चार चालु हालत के सरकारी बिजली संयत्र नष्ट कर दिए। यह सरकार 12,175 मेगावाट बिजली की इन्सटाल्ड कैपेसिटी का दावा करती है पर प्रदेश में केवल 6,000 मेगावाट बिजली क्यों उपलब्ध है? सरकार को बताना चाहिए की यमुनानगर थर्मल प्लांट में केवल 8 दिन और पानीपत थर्मल में प्लांट में केवल 7 दिन का स्टॉक ही क्यों शेष है और उसकी समुचित सप्लाई उपलब्ध कराने के लिए सरकार क्या कर रही है।
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सुरजेवाला ने कहा कि प्रदेश सरकार के कारण 65 लाख घरेलु उपभोक्ता, 6.57 लाख कृषि कनेक्शन उपभोक्ता और 1.16 लाख 16 हजार कई-कई घंटों के घोषित और अघोषित बिजली कट झेल रहे हैं, सरकार स्वयं मानती है की शहरों में तीन से चार घंटे और गांवों में 8 से 10 घंटों तक के कट लगाए जा रहे हैं, लेकिन स्थिति इससे बहुत ज्यादा भयावह है जिससे लोग अपने रोजमर्रा के कामों को छोड़कर बिजली को लेकर आए दिन प्रदर्शन करने पर मजबूर हैं। लोगों की समस्याओं से पुरी तरह बेख़बर व बेपरवाह भाजपा-जजपा सरकार के लोग एसी कमरों में बैठ जानबूझकर प्रदेश के लोगों को इस भीषण गर्मी में झोंकने का काम कर रहे हैं।
सुरजेवाला ने कहा कि कड़वी सच्चाई यह है कि राज्य में बिजली कि कोई कमी नहीं है और बिजली को लेकर जनता की परेशानियाँ के लिए केवल व केवल प्रदेश सरकार का कुप्रबंधन और नालायकी ज़िम्मेदार है। उन्होंने कहा कि एक साजिश के तहत खट्टर सरकार ने पिछले आठ साल में बिजली उत्पादन नहीं बढाया। अब गर्मी के मौसम में बिजली कि ज़रूरत बढ़ जाने के बावजूद प्रदेश के दो बिजली कारखाने बंद पड़े हैं जिससे हमें क्षमता से 1100 मेगावाट यूनिट बिजली कम मिल रही है।