सरकारी अस्पतालों पर माननीयों को क्यों नहीं है भरोसा ?

नई दिल्ली (रिपोर्ट- विश्वजीत झा): दिल्ली सरकार सरकारी अस्पतालों में वर्ल्ड क्लास सुविधाओं की बात करती है। पर यह भी कड़वी सच्चाई है कि सरकार के ही वीवीआइपी को इलाज कराने के लिए प्राइवेट अस्पताल की शरण लेनी पड़ती है। फिर सवाल यह है कि क्या अस्पतालों में सुविधाएं नहीं है या फिर अस्पतालों पर भरोसा नहीं है।

दिल्ली का लोकनायक अस्पताल दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पतालों में है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद अस्पताल में कई बड़े सुधार के दावे किए गए। कई नए नए प्रयोग भी किए गए। काफी चीजें बदली भी। कोरोना काल में भी अस्पताल सुर्खियों में रहा शुरुआत में अव्यवस्था की बात सामने आई। कुछ दिनों बाद अस्पताल की तारीफ भी हुई। अस्पताल पर यह सरकार का भरोसा ही था कि कोरोना पॉजिटिव होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन पहले एलएनजेपी अस्पताल में एडमिट हुए पर बाद में उन्हें प्राइवेट अस्पताल की शरण लेनी पड़ी।

दूसरी ओर डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया भी पहले एलएनजेपी अस्पताल में ही एडमिट हुए। खुद डिप्टी सीएम ने अस्पताल में व्यवस्था की सराहना की। पर शाम होते होते होते उन्हें भी मैक्स साकेत साकेत में शिफ्ट कर दिया गया।

Also Read: निजीकरण की ओर दिल्ली जल बोर्ड, निजी कंपनियों को पेयजल और सीवरेज की जिम्मेदारी

दरअसल यह हालत सिर्फ दिल्ली नहीं हरियाणा में भी ऐसे कई मामले सामने आए। यहां तक कि खुद मुख्यमंत्री कोरोना पॉजिटिव पॉजिटिव होने के बाद मेदांता अस्पताल में एडमिट हुए। वहीं अन्य मंत्रियों ने भी प्राइवेट अस्पताल में ही जाना बेहतर समझा। दूसरे राज्यों में भी कोरोना पॉजिटिव होने के बाद विधायक और मंत्रियो ने प्राइवेट अस्पताल ही जाना बेहतर समझा।

लिहाजा बड़ा सवाल यह है कि एक तरफ तो सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है। बजट का बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं में जाता है। फिर इन अस्पतालों पर बड़े लोग को भरोसे को बरकरार क्यों नहीं रख पाते।

Top Hindi NewsLatest News Updates, Delhi Updates,Haryana News, click on Delhi FacebookDelhi twitter and Also Haryana FacebookHaryana Twitter

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *