छत्तीसगढ़(नीरज तिवारी): झीरम हमले की आज 8वीं बरसी है। 25 मई 2013 को जीरम घाटी में हुए हमले में कांग्रेस के कई नेताओं ने अपनी जान गंवाई थी।
25 मई 2013 कांग्रेस की राजनीति में काला दिन साबित हुआ। कांग्रेस का काफिला सुकमा ज़िले से परिवर्तन यात्रा के लिए सभा कर जगदलपुर की ओर आ रहा था।
इसी दौरान दरभा थाने से महज़ कुछ किलोमीटर की दूरी पर जीरम घाटी में राष्ट्रीय राजमार्ग पर नक्सलियों ने उस बड़ी घटना को अंजाम दिया, जिससे पूरा देश दहल उठा था।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने झीरम घाटी में 25 मई 2013 को हुए नक्सली हमले में शहीद नेताओं और जवानों को नमन करते हुए कहा 25 मई 2013 को बस्तर की झीरम घाटी में नक्सली हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के शीर्ष नेता विद्याचरण शुक्ल, नंदकुमार पटेल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार, योगेंद्र शर्मा स्रहित 30 नेतागण और सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि नक्सलवादी हिंसा के लंबे दौर में समय-समय पर नागरिकों सहित कर्तव्य निभाने वाले सुरक्षाकर्मियों ने भी सर्वोच्च त्याग किया है।
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हमने संकल्प लिया है कि इनकी शहादत को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। शांति, विश्वास, सुरक्षा और विकास के मूल मंत्र से छत्तीसगढ़ में खुशहाली का स्थाई वास सुनिश्चित करेंगे। नक्सलवाद के विरुद्ध निर्णायक संघर्ष हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
वहीं कांग्रेस के संचार विभागाध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा घटना से पूरे प्रदेश के लोग और कांग्रेस जन आहत हुए थे। घटना की एनआईए जांच स्थापित की गई।
प्रदेश की पूर्ववर्तीय भाजपा सरकार की तरफ से एनआईए जांच के लिए नियुक्त नोडल अधिकारियों ने सहयोग नहीं किया, जिस बात को तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत और कांग्रेस विधायक दल के नेता रविंद्र चौबे ने अनेक बार उठाया था।
पहले 5 साल भाजपा की राज्य सरकार ने एनआईए की जांच में सहयोग नहीं किया और केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद एनआईए को षडयंत्र की जांच नहीं करने दी गई।
2018 के बाद झीरम की जांच जब-जब छत्तीसगढ़ सरकार ने शुरू की, एनआईए ने अदालत जाकर उस जांच को रोकवाने के लिये याचिका प्रस्तुत की।
इसे लेकर कांग्रेस ने 5 सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि, झीरम हत्याकांड की जांच को भाजपा की सरकारें क्यों बाधित करती हैं ? छत्तीसगढ़ सरकार को झीरम मामले की जांच से क्यों रोका जा रहा है ?
झीरम मामले में जिन महत्वपूर्ण जानकारियों के मिलने की खबरें एनआईए के हवाले से लगातार आती रही, एनआईए ने चार्जशीट में उन जानकारियों का उल्लेख तक क्यों नहीं किया ?
झीरम मामले की जांच की हर कोशिश को पहले भाजपा की राज्य सरकार और फिर भाजपा की केंद्र सरकार ने क्यों बाधित किया ?
छत्तीसगढ़ की जनता, हम कांग्रेस के लोग और शहीदों के परिजन अगर यह चाहते हैं कि झीरम की साजिश उजागर हो और झीरम के गुनाहगारों को सजा मिले तो इसमें गलत क्या है ?