अयोध्या की बाबरी मस्जिद मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि घटना पूर्वनियोजित नहीं थी, जो कुछ हुआ था अचानक हुआ था।
जज ने फैसला सुनाते हुए आगे कहा कि जो फोटो और वीडियो के साक्ष्य हैं वो मान्य नहीं हैं। सीबीआई की विशेष अदालत ने जिन 32 आरोपियों को बरी किया गया, उनमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, महंत नृत्य गोपाल दास, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, रामविलास वेदांती, धरम दास, सतीश प्रधान, चंपत राय, पवन कुमार पांडेय, ब्रज भूषण सिंह, जय भगवान गोयल, महाराज स्वामी साक्षी, रामचंद्र खत्री, अमन नाथ गोयल, संतोष दुबे, प्रकाश शर्मा, जयभान सिंह पवेया, विनय कुमार राय, लल्लू सिंह, ओमप्रकाश पांडेय, कमलेश त्रिपाठी उर्फ सती दुबे, गांधी यादव, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर, रामजी गुप्ता, विजय बहादुर सिंह, नवीन भाई शुक्ला, आचार्य धर्मेंद्र देव, सुधीर कक्कड़और रविंद्र नाथ श्रीवास्तव शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2017 में दो साल के भीतर मुकदमा निपटा कर फैसला सुनाने का आदेश दिया था। इसके बाद तीन बार समय बढ़ाया और अंतिम तिथि 30 सितंबर 2020 तय की थी। मुकदमे पर अगर निगाह डालें तो घटना की पहली FIR नंबर 197 उसी दिन 6 दिसंबर 1992 को श्रीराम जन्मभूमि सदर फैजाबाद पुलिस थाने के थानाध्यक्ष प्रियंबदा नाथ शुक्ल ने दर्ज कराई थी। दूसरी FIR नंबर 198 राम जन्मभूमि पुलिस चौकी के प्रभारी गंगा प्रसाद तिवारी की थी।
इस फैसले को लिखने के साथ ही जज सुरेंद्र कुमार यादव भी अपने कार्यकाल से मुक्त हो गए हैं। आज ही उनकी रिटायरमेंट होनी है। हालांकि, सुरेंद्र यादव का कार्यकाल एक साल पहले ही पूरा हो गया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी विध्वंस केस की सुनवाई पूरी करने और इस पर फैसला सुनाने के मकसद से उन्हें एक साल का विस्तार दे दिया था। उनके रिटायरमेंट की तारीख 30 सितंबर 2019 थी।