सीएम खट्टर ने किया ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल लॉन्च, HSVP की 5 विशिष्ट सेवाओं का भी किया शुभारंभ

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि फसल मुआवजे के लिए पंजीकृत क्षेत्र के 4 प्रतिशत हिस्से का उपायुक्त से सत्यापन कराना आवश्यक है | News,

हरियाणा, अनिल कुमार: किसानों के कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहने वाली खट्टर सरकार ने एक बार फिर दिखाया है कि, उनके लिए किसानों के हित और उन्हें जोखिम मुक्त करना उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस दिशा में एक और कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ‘ई-फसल क्षतिपूर्ति नामक पोर्टल लॉन्च किया। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की पांच विशिष्ट सेवाओं का भी शुभारंभ किया।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस पोर्टल के शुभारंभ के साथ ही यह फसल नुकसान की स्थिति में आवेदन, सत्यापन और मुआवजा प्रदान करने की प्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। इससे पहले किसानों को फसल खराबे का मुआवजा मैनुअल दिया जाता रहा है और सालों से चली आ रही मैनुअल मुआवजा प्रणाली को बदलते हुए अब इस पोर्टल के माध्यम से यह मुआवजा भी ऑनलाइन कर दिया है।

 

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मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पंजीकरण नहीं कराया है, उन किसानों को इस सुविधा का लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि आईटी सुधारों के साथ, हमने समाज के हर वर्ग के लिए ‘ईज ऑफ लिविंग’ की दिशा में काम किया है। उन्होंने कहा कि ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा” पोर्टल की अभूतपूर्व सफलता के बाद “ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल” का शुभारम्भ किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पोर्टल के माध्यम से मुआवजा राशि “मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पर उपलब्ध करवाए गए काश्तकार के सत्यापित खाते में सीधे जमा करवाई जाएगी। इसके लिए किसानों को ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा” पोर्टल के अलावा और कहीं भी पंजीकरण करने की आवश्यकता नहीं है। सम्बन्धित खसरा नम्बर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पंजीकृत नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस पोर्टल पर किसान समय-समय पर अपने आवेदन की स्थिति देख सकते हैं। पंजीकरण हेतु मोबाइल नंबर, परिवार पहचान पत्र या “मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ पंजीकरण नम्बर में से कोई एक अनिवार्य होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आग, बाढ़, ओलावृष्टि, सूखा, शीत लहर, भूकम्प, भूस्खलन, बादल फटना, जलभराव, भारी बारिश, कीट का हमला और धूलभरी आंधी के कारण फसल नुकसान पर मुआवजा मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि फसल का मुआवजा 5 स्लैब 0 से 24 प्रतिशत, 25 से 32 प्रतिशत, 33 से 49 प्रतिशत, 50 से 74 प्रतिशत और 75 से 100 प्रतिशत में दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पटवारी, कानूनगो और तहसीलदार उनके पंजीकृत मोबाइल नंबर से लॉगिन फॉर्म से अपना-अपना लॉगिन करेंगे। वे फसल नुकसान के लिए किसान द्वारा प्रस्तुत आवेदन को देख सकेंगे। फसल हानि का प्रतिशत तथा खसरा नम्बर की फोटो भरेंगे और अपनी प्रतिक्रिया देंगे। एस.डी.एम. अपने लॉगिन फॉर्म से लॉगिन करेंगे और पटवारी, कानूनगो व तहसीलदार द्वारा प्रस्तुत किए गए बेमेल डेटा को देख सकेंगे। किसान द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत का पुनः सत्यापन भी एस.डी.एम. द्वारा किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि फसल मुआवजे के लिए पंजीकृत क्षेत्र के 4 प्रतिशत हिस्से का उपायुक्त से सत्यापन कराना आवश्यक है। उपायुक्त राशि को आयुक्त के अनुमोदनार्थ भेजेंगे। आयुक्त राशि को नोडल अधिकारी के अनुमोदन के लिए भेजेंगे। नोडल अधिकारी संबंधित जिलों द्वारा भेजी गई राशि के लिए सरकार की स्वीकृति लेंगे और स्वीकृति के बाद राशि सीधे किसान के सत्यापित खाते में डाल दी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की पांच विशिष्ट सेवाओं का उद्देश्य राज्य सरकार के ईज ऑफ लिविंग को नई गति प्रदान करना है। यह राजस्व विभाग से समन्वय के साथ एक अभिन्न प्रक्रिया है । जिससे आवंटी की परेशानी को कम किया जा सकेगा। इसमें पुनः आवंटन के लिए आवेदन, ओटीपी आदि जैसी कुछ अनावश्यक प्रक्रियाओं को समाप्त कर दिया गया है । इसने पुनः आवंटन सेवा का समय घटाकर 1 दिन कर दिया है। तकनीक के युग के साथ कदम बढ़ाते हुए एचएसवीपी ने अपनी डिजिटल सेवा शुरू की है।

यह सेवा उन आंवटियों के लिए है, जो स्वास्थ्य सम्बंधी कारणों से कार्यालय नहीं आ सकते। वे स्थानांतरण अनुमति के लिए अपने घर पर ही बायोमेट्रिक उपस्थिति सेवा का लाभ उठा सकते हैं। आवंटी अपनी सुविधा के अनुसार एक स्लॉट चुन सकता है। इसके बाद उसके घर पर उपकरणों से सुसज्जित वाहन भेजा जाएगा। 4 मरला से कम आकार के प्लाट आवंटी के लिए यह सेवा निःशुल्क है। अन्य को एक निर्धारित शुल्क देना होगा।

ईज ऑफ डुईंग बिजनेस को बेहतर बनाने के लिए एचएसवीपी ने एक सेवा शुरू की है जिसका उपयोग करके कोई भी कही से भी अपनी बायोमेट्रिक उपस्थिति को दर्ज कर सकता है जो कि निकटतम संपदा कार्यालय के लिए स्थानांतरण अनुमति का हिस्सा है। पहले इसके लिए उसी सम्पदा कार्यालय आना होता था जिसके दायरे में आवंटी की सम्पत्ति आती है। अब कार्यालय में आने की आवश्यकता नहीं रहेगी। इससे खरीदार और विक्रेता दोनों के लिए प्रक्रिया सुविधाजनक बन गई है। एचएसवीपी ने इस मॉड्यूल को आवंटी को त्रुटियों को ठीक करने और एचएसवीपी के पीपीएम डेटाबेस में सम्पत्ति – संबंधी विशेषताओं को अपडेट करने का अवसर देने के लिए शुरू की है।

अब पहले की तरह एचएसवीपी मुख्यालय जाने की आवश्यकता नहीं है। आवंटी को ऑफर के अपडेशन, कब्जे की तारीख आवंटी के विवरण, जीपीए धारक , प्लॉट मेमो आदि जैसी कुछ सेवाओं के लिए किसी भी कार्यालय जाने की जरूरत नहीं है। इसे कहीं से भी ऑनलाइन किया जा सकता है। बाकी सेवाएं जैसे कि प्लॉट की कैटेगरी बदलने से संबंधित अपडेशन, फिंगरप्रिंट इश्यू, प्लाट की अनब्लॉकिंग आदि का कार्य संपदा कार्यालय में किया जा सकता है।

एचएसवीपी की मौजूदा सेवाओं के अलावा आज 11 सेवाएं आईटी प्लेटफॉर्म पर शुरू की जा रही हैं। इनमें पानी की लाइन की मरम्मत, सड़क की सफाई, गड्ढों की मरम्मत, मैनहोल की मरम्मत जैसी सेवाएं शामिल हैं। इस नई शुरुआत से नागरिकों को समय पर सेवाएं मिलनी सुनिश्चित होंगी। नागरिक इन सेवाओं का लाभ उठाने के लिए कहीं से भी आवेदन कर सकते हैं।

 

 

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