दिल्ली(अवैस उस्मानी): चुनाव के दौरान मुफ्त योजनाओं की घोषणा करने पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह गंभीर मामला है। फ्रीबीज़ को लेकर सभी राजनीतिक दल एक तरफ हैं, भाजपा समेत सभी पार्टियां चाहती हैं कि फ्रीबीज़ जारी रहे। लेकिन मुफ्त योजनाएं एक गंभीर मुद्दा हैं। इस पर बहस की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट में मामले में कल सुनवाई जारी रहेगी।
मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि दलीलों से साफ है कि आप सिर्फ चुनाव के दौरान होने वाली मुफ्तखोरी के वायदों पर रोक चाहते हैं। हालांकि, इससे जुड़े दूसरे मसले भी अहम हैं, जहां दूसरी जनकल्याणकारी योजनाओं की आड़ में मुफ्त फायदे दिए जाते है। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि जनकल्याणकारी योजनाओं और मुफ्तखोरी को अलग-अलग देखने की जरूरत है। मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर कोई पार्टी कहे की वह प्रॉपर्टी टैक्स नहीं लेगी तो क्या यह सही होगा? सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जब सरकार के पास पैसा ना हो और वह चुनाव जीतने के लिए खर्च करे, क्या यह सही है, इसकी वजह से अर्थव्यवस्था लचर हो जाती है, यह गंभीर मुद्दा है।
याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा हर कोई सत्ता चाहता है, इसलिए हर कोई मुफ्त की घोषणा करता है, इससे इतना फर्क पड़ेगा कि देश की अर्थव्यवस्था दिवालिया हो जाएगा। वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा अगर किसी राज्य 6 लाख करोड़ के कर्ज में है और वह वादा करे कि चुनाव जीते तो 6 लाख करोड़ कि योजनाएं लाएंगे, ऐसे में संतुलन होना चाहिए। विकास सिंह ने कहा कि कोई यह नहीं कह रहा है कि आप मुफ्त में पानी मत दीजिये। राजनीतिक पार्टी को बताना होगा कि फ्रीबीज़ के लिए आपको पैसे कहाँ मिलेगा? मतदाता को जानने का अधिकार है।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि सवाल यह है कि चुनाव के दौरान मेनिफेस्टो में किए गए वादों को रेगुलेट किया जाना चाहिए। विकास सिंह ने कहा की राजनीतिक दल कह रहे हैं की यह फ्री घोषणाएं समाज कल्याण के लिए होती हैं। विकास सिंह ने कहा जिस तरह से फ्री बीज के नाम पर रेवड़ियां बांटी जा रही हैं, वह लोक कल्याण के नहीं हैं। यह राजकोषीय नियंत्रण से भी जुड़ी है, हम श्रीलंका नहीं बनना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह बड़ी जटिल समस्या, आपने उसे चुनाव वादों तक ही सीमित रखा लेकिन अन्य मुद्दे भी महत्वपूर्ण है, कल्याण योजनाओं के नाम पर कुछ अन्य लाभ दिया जाता है।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ लोग कल्याणकारी और अर्थव्यवस्था के प्रति चिंतित हैं, हमारा मानना है कि संसद इस पर गौर करेगी, फैसला करेगी, यही कारण है कि मैंने शुरू में कमेटी बनाने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब सवाल यह है कि आयोग का प्रमुख कौन होगा ? मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने DMK की दलील पर नाराजगी जताते हुए कहा कि बौद्धिकता सिर्फ एक व्यक्ति या एक पार्टी से जुड़ी नहीं है। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा हम बहुत कहना चाहते हैं, लेकिन मैं मुख्य न्यायाधीश की कुर्सी पर हूँ इसलिए नहीं बोलना चाहता हूँ। हम व्यापक स्तर पर सभी के सुझाव पर गौर करेंगे। आम आदमी पार्टी फ्रीबिज मामले को कमिटी के पास भेजने का विरोध किया। आप पार्टी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस पर संसद को विचार करना चाहिए।