नई दिल्ली – (प्रदीप कुमार की रिपोर्ट) – लद्दाख के पेंगोंग इलाके में एक बार फिर भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई है। दोनों देशों के सैनिकों के बीच ताजा झड़प 29-30 अगस्त की रात को हुई।
जानकारी के मुताबिक पेंगोंग लेक के पास चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश कर रही थी जिसका भारतीय सैनिकों की ओर से विरोध किया गया और इसी दौरान दोनों देशों के जवानों के बीच झड़प हुई। झड़प के बाद अब चुशूल में ब्रिगेड कमांडर स्तर की बातचीत जारी है। सेना के प्रवक्ता ने कहा है कि जवानों ने भारतीय पोस्ट को मजबूत करने और जमीन पर तथ्यों को एकतरफा बदलने के लिए चीनी इरादों को विफल करने की कार्रवाई की है। खबर है कि झड़प में भारतीय सेना का कोई जवान हताहत नहीं हुआ है।
चीन की ओर से पिछले कुछ महीनों में ऐसी हरकत दूसरी बार की गई है जिसका भारतीय जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया है। इससे पहले 15 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 16 बिहार इंफेंट्री रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी संतोष बाबू सहित 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। चीन ने गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में हताहतों की संख्या के बारे में कुछ भी नहीं बताया है। भारतीय सेना के सैनिकों की ओर से इस हिसंक झड़प में हैंड टू हैंड सामना किया गया था और इस झड़प से हुए नुकसान के बारे में सेना द्वारा जानकारी भी दी गई थी, लेकिन बीजिंग की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान अब तक नहीं आया है।
ये वही जगह है जहां पर चीन की ओर से 1962 की लड़ाई के दौरान मुख्य हमला किया गया था। पेंगोंग झील की भौगौलिक स्थिति इसे रणनीतिक रूप से बेहद अहम बनाती है। यह चुशुल अप्रोच के रास्ते में पड़ता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक चीन अगर भविष्य में कभी भारतीय क्षेत्र पर हमले की हिमाकत करता है तो चुशुल अप्रोच का इस्तेमाल कर सकता है क्योंकि दोनों देशों के लिए इसका रणनीतिक महत्व है। पैंगोंग सो झील के उत्तर और दक्षिण की तरफ से चीन के दुस्साहस की आशंका हमेशा बनी रहती है। पैंगोंग झील तिब्बत से लेकर भारतीय क्षेत्र तक फैली है। इसका पूर्वी हिस्सा तिब्बत में है। इसके 89 किलोमीटर यानी करीब 2 तिहाई हिस्से पर चीन का नियंत्रण है। झील के 45 किलोमीटर पश्चिमी हिस्से यानी करीब एक तिहाई हिस्से पर भारत का नियंत्रण है।
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