Work Depression: बदलते समय के साथ काम का प्रेशर भी बढ़ गया है। इसका मतलब ऐसा नहीं है की पहले के समय में काम नहीं था। लेकिन बढ़ती जनसंख्या के बीच दूसरों से आगे निकलने की होड़ में लोग जिंदगी जीना भूल गए है। बस काम ही काम नजर आता है। कभी कभी काम इतना ज्यादा हो जाता है की लोग डिप्रेशन में चले जाते है। यहां तक की रोना भी आ जाता है। और मानसिक तनाव में व्यक्ति काम पर ध्यान केंद्रित कर पाता है। ऐसा जरूरी नहीं की ये परेशानी सबको हो लेकिन ज्यादातर लोगों को ऐसी परेशानियों का सामना कारण पड़ता है। काम चाहे घर से या ऑफिस से तनाव कही भी हो सकता है।
वर्क डिप्रेशन का कारण सिर्फ ऑफिस के काम प्रेशर ही नहीं होता है बल्कि पहले से मानसिक तनाव से जूझ रहे व्यक्ति को भी वर्क डिप्रेशन हो सकता है। यहां तक की वर्क फ्रॉम होम काम करने वाले व्यक्ति भी वर्क डिप्रेशन का शिकार होते है। ऑफिस में काम करने वाला व्यक्ति अपना ज्यादातर समय ऑफिस में बिताता है ऐसे में अगर वहां का वातावरण ही अच्छा नहीं होगा तो काम करने में भी परेशानी होगी और काम करने का बिल्कुल भी मन नहीं करेगा। पहले से डिप्रेस्ड व्यक्ति को काम पर फोकस करने में दिक्क्त होती है ऐसे में अगर उसे काम का ज्यादा प्रेशर होगा तो वह वर्क डिप्रेशन का शिकार हो सकता है।
ऑफिस में स्वस्थ माहौल बनाने में आपके सहयोगियों का साथ भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वर्क प्लेस का नकारात्मक वातावरण लोगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बिगाड़ सकता है। इसके चलते ऑफिस में अनुपस्थिति बढ़ सकती है और कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी लो हो सकती है।
ऐसे में व्यक्ति का काम के प्रति बोरियत महसूस होने लगती है। वर्क डिप्रेशन से ग्रस्त व्यक्ति को भूख और नींद ज्यादा आने लगती है और वो इस कदर उदास हो जाता है की वो अपने काम में गलतियां करने लगता है। उदासी और चिड़चिड़ापन से व्यक्ति चीजों को भूलने लगता है। ऐसे में वो अपने आप को नाकाबिल समझने लगता है और सहयोगियों से दूर भागने लगता है।
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वर्क डिप्रेशन के लक्षण-
- ज्यादा काम का तनाव
- ऑफिस का निगेटिव वातावरण होना
- मनमुताबिक काम होना का न होना
- अनियमित शिफ्ट का होना
- ऑफिस में असुरक्षा की भावना होना
- बॉस या सहयोगियों का सहयोग न होना
- जॉब खोने का डर
- नैतिक मूल्यों के उलट काम करना
- वर्क लाइफ बैलेंस न होना
वर्क डिप्रेशन से कैसे बचें –
- काम के दौरान हर 10 मिनट पर ब्रेक लें
- लंच के लिए किसी खुली जगह का चुनाव करे
- ब्रीथिंग एक्सरसाइज करे
- सहयोगियों से बात करते रहे और जोक्स और वीडियो शेयर करते रहे
- काम का बोझ न ले
- ऐसे काम को न कहें जो आपके मन को तनाव दे
- घर में मेडिटेशन की आदत अपना लें
- बॉस से खुलकर बात करे
- जरूरत महसूस होने पर डॉक्टर से परामर्श लें
- खुद के लिए टाइम जरूर निकालें