सार्वजनिक शौचालयों की हालत खस्ता, दावों की खुली पोल

चरखी दादरी(प्रदीप साहु): एक तरफ प्रदेश सरकार स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे प्रदेश को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए अभियान चला रही है।

वहीं, दूसरी ओर बाढड़ा क्षेत्र के कई गांवों में बने सार्वजनिक शौचालयों की हालत खस्ता होने से महिलाएं खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं। शौचालयों में ना सुविधाएं और ना ही यूज लायक हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में बने शौचालय सिर्फ शो पीस बनकर रह गए हैं। सार्वजनिक शौचालयों की खस्ता हालत से गुस्साए ग्रामीणों ने रोष जताते हुए अधिकारियों पर लापरवाही व भ्रष्टाचार करवाने के आरोप लगाए हैं।

बता दें, सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में करीब डेढ वर्ष पहले शुलभ शौचालयों का निर्माण करवाया गया था, इनके निर्माण के बाद से ही देखरेख के अभाव में हालत खास्ता हो गई है।

गांव हंसावास कलां के बस स्टैंड पर बने शुलभ शौचालयों ही हालत खराब होने को लेकर ग्रामीणों ने रोष व्यक्त किया और अधिकारियों पर लापरवाही और भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए।

ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत व सरकार की ओर से सार्वजनिक सुलभ शौचालयों का निर्माण करवाया गया था। लेकिन कोई देखभाल होने के कारण इन शौचालयों का बहुत ही बुरा हाल हो चुका है। शौचालयों के दरवाजे टूट चुके हैं। पानी के लिए बनाया गया ट्यूबवेल बंद हो चुका है।

ग्रामीण नरपाल सिंह, भूप सिंह इत्यादि ने बताया कि सरकार व अधिकारियों ने पैसे कमाने के लिए सुलभ शौचालय बनाए हैं। इनमें कोई सुविधा नहीं है और ही देखरेख हो रही है।

शौचालय के पास पड़े मल गंदगी के ढेर ने आस-पड़ोस के ग्रामीणों का जीना दूभर कर दिया है। इन शौचालयों में शौच करना तो दूर यहां से गुजरना भी मुश्किल हो गया है।

जिस कारण महिलाओं पुरुषों को मजबूरन खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। अगर समाधान नहीं हुआ तो ग्रामीण आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।

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