आम आदमी पार्टी के चंदे पर गरमाई दिल्ली की सियासत, बीजेपी ने उठाए सवाल

दिल्ली।(रिपोर्ट- अनिल कुमार सिंह) दिल्ली में आम आदमी पार्टी को मिले चंदे पर सियासत गरमाई हुई है। ‘आप’ को चंदे में मिले दो करोड़ रुपये को लेकर सियासी जंग तेज हो गई है। बीजेपी का ‘आप’ पर आरोप है कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अन्ना आंदोलन के दौरान जनलोकपाल व हिंद स्वराज की बात करते थे। लेकिन आज उनकी पार्टी फर्जी कंपनियों के साथ मिलकर काले धन को सफेद में करने में लगी है।

दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि जिस व्यक्ति ने देश का झंडा उठाकर ‘हिंद स्वराज’ और ‘लोकपाल’ की बात की थी, आज वही अरविंद केजरीवाल सरकार फर्जी कंपनियों के सहारे काले धन को सफेद करने का गोरखधंधा चला रही है। इनके कई नेता इस धंधे में शामिल हैं। आम आदमी पार्टी का गठन झूठ की ताकत पर हुआ है, अब यह लोगों के सामने आ रहा है।

आपकी आमदनी एक साल में बमुश्किल 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ती है और वो बात अलग है कि कोरोनकाल में तो वो भी घट गई है। मगर राजनीतिक पार्टियों की आमदनी का ग्राफ हर साल 400-500 प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ रहा है। पिछले कुछ सालों में राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे की बाढ़ सी आ गई है। इस चंदे की बाढ़ पर बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर फर्जी कंपनियों से मिलीभगत कर ब्लैक मनी को व्हाइट मनी में करने का आरोप लगाया है। बीजेपी का कहना है कि हिन्द स्वराज और जनलोकपाल के सिद्धांतों की बात करने वाले अरविंद केजरीवाल के सांसद और विधायक आज फर्जी कंपनियां चला रहे हैं। आम आदमी को नौकरी में एक तय रकम पर भी टैक्स देना होता है। लेकिन राजनीति का आलम देखिए, कि राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे पर आयकर में छूट मिली हुई है।

आम आदमी पार्टी को घेरते हुए नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा आयकर विभाग को आम आदमी पार्टी को 2015 से लेकर अब तक मिले चंदे पर आयकर छूट खत्म कर 35 प्रतिशत टैक्स लेना चाहिए। इसके साथ ही ईडी को अवैध तौर पर मिले दो करोड़ रुपये को जब्त कर मौजूदा वक्त में रहे पार्टी पदाधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी करनी चाहिए।

इसके अलावा दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने बीते दिन ट्वीट भी किया था कि ईमानदारी की कसम खाकर राजनीति में आए अरिवंद केजरीवाल आज काला पैसा सफेद करने की मशीन बने हुए हैं। ना जाने ऐसी कितनी अज्ञात कंपनियां होंगी, जिससे इन्होंने फंड लिया होगा। इन कंपनियों के साथ साथ जांच आम आदमी पार्टी की भी होनी चाहिए।

सार्वजनिक मंचों से हर राजनीतिक पार्टी व्यवस्था में पारदर्शिता लाने का दावा करती है। चंदे के लेन-देन पर ये पार्टियां एक-दूसरे पर सवाल भी उठाती हैं। खुद की गतिविधियों को पारदर्शी बताने वाले ये राजनीतिक दल अपनी वेबसाइट पर चंदे की सही जानकारी तक नहीं देते। जबकि कई पार्टियां तो ऐसी हैं। जिन्होंने वेबसाइट से डोनेशन शब्द ही हटा दिया। अब आप ही सोचिए ये कैसी पारदर्शिता है।

आम आदमी पार्टी पर चंदे को लेकर लग रहे आरोपों पर आप नेता सौरभ भारद्वाज ने उल्टा बीजेपी पर ही पलटवार करते हुए कहा कि सारी जांच एजेंसी और पुलिस केंद्र की बीजेपी सरकार के हाथ में ही हैं। अगर ऐसा कुछ है तो वो जांच क्यों नहीं करवाते हैं।

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