नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा अर्चना की जाती है। देवी मां के आठवें स्वरूप को महागौरी के नाम से पुकारा जाता है।
वैसे तो कुछ लोग नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं और कुछ नवमी कन्या पूजन करते हैं। मां महागौरी की पूजा करने से मन पवित्र हो जाता है और भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
कहा जाता है कि भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए इन्होंने कठोर तपस्या की थी। इस दिन मां की पूजा करने से मनचाहे जीवनसाथी की मुराद पूरी होती है।
मां की पूजा करने से मनचाहे जीवनसाथी की मुराद पूरी होती है। मां की अराधना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है।
इस बार शारदीय नवरात्र 8 दिन के पड़े हैं, जिसमें तृतीया और चतुर्थी एक ही दिन पड़े थे। इसके कारण महाअष्टमी 13 अक्टूबर और नवमी 14 अक्टूबर को पड़ रही है।
अष्टमी के दिन सबसे पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें, इसके बाद घर के मंदिर में लकड़ी की चौक पर महागौरी की प्रतिमा स्थापित करें। मां के आगे दीपक जलाएं और फल, फूल अर्पित करें। मां की आरती के बाद कन्या पूजन करें।
नवरात्रि का सातवां दिन समर्पित है मां कालरात्रि को, जानें पूजन विधि
आज महाअष्टमी के दिन देवी दुर्गा के महागौरी के निमित्त उपवास किया जाता है। लेकिन धर्मशास्त्र का इतिहास चतुर्थ भाग के पृष्ठ- 67 पर चर्चा में ये उल्लेख भी मिलता है कि पुत्रवान व्रती इस दिन उपवास नहीं करता। साथ ही वह नवमी तिथि को पारण न करके अष्टमी को ही व्रत का पारण कर लेता है।
देवी मां की पूजा के साथ ही कुमारियों और ब्राह्मणों को भोजन भी कराना चाहिए, विशेष रूप से कुमारियों को घर पर आदर सहित बुलाकर उनके हाथ-पैर धुलवाकर, उन्हें आसन पर बिठाना चाहिए और उन्हें हलवा, पूड़ी और चने का भोजन कराना चाहिए।
भोजन कराने के बाद कुमारियों को कुछ न कुछ दक्षिणा देकर उनके पैर छूकर आशीर्वाद भी लेना चाहिए, इससे देवी मां बहुत प्रसन्न होती हैं और मन की मुरादें पूरी करती हैं।