रायपुर (नीरज तिवारी की रिपोर्ट)- छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नान घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार सहित ईओडब्लू, एसीबी, विशेष जांच दल और दो वरिष्ठ अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। मामले में एक गवाह गिरीश शर्मा ने प्रकरण की जांच राज्य के बाहर के जांच दल से कराने याचिका दायर की है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद इस घोटाले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। इस प्रकरण में न्यायमूर्ति रोहिंटन एफ नरीमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने गवाह गिरीश शर्मा की याचिका पर सुनवाई की। याची की ओर से कहा गया है कि राज्य सरकार अदालत में मामले की कार्यवाही को पटरी से उतारने का प्रयास कर रही है। इसे आधार बनाते हुए याची की ओर से प्रकरणकी जांच अन्य राज्य में स्थानांतरण किये जाने की मांग की है।
गिरीश शर्मा का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने दिसंबर-2018 से दो आईएएस अधिकारी आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को मामले में गवाहों को प्रभावित करने के लिए लगाया। इस क्रम में दोनों अफसरों ने गवाहों को प्रभावित करने के प्रयास किये। बता दें यह दोनों अधिकारी इस मामले में मुख्य आरोपी हैं। गिरीश शर्मा घोटाले के समय आईएस अधिकारी अनिल टुटेजा के निजी सहायक थे। गिरीश शर्मा के वकील रवि शर्मा ने बताया कि नान घोटाला कांग्रेस की ओर से 2018 विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान तत्कालीन भाजपा सरकार के खिलाफ प्रमुख मुद्दों में से एक था।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पहले भी आईएएस आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा के खिलाफ घोटाले के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था, हालांकि दोनों अधिकारियों को अग्रिम जमानत मिली हुई है। एडवोकेट शर्मा ने आरोप लगाया कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष उनके मुवक्किल द्वारा प्रामाणिक तथ्य प्रस्तुत करने के बाद राज्य सरकार ने एक अन्य मामले में एफआईआर दर्ज कराने के साथ उन्हें परेशान किया गया। शीर्ष अदालत ने उत्तरदाताओं को चार सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देने का निर्देश दिया है।
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शर्मा ने अदालत द्वारा पूर्व में दिए गए फैसलों में से एक का हवाला देते हुए कहा कि `अगर सीआरपीसी की धारा 164 के तहत कोई भी बयान दर्ज किया जाता है तो वह शत्रुतापूर्ण व्यवहार करता है या उस पर प्रतिवाद (शपथ के तहत झूठ बोलने) का मुकदमा चलाया जा सकता है।` कांग्रेस सरकार ने 2019 की शुरुआत में कथित करोड़ों के नागरिक आपूर्ति घोटाले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। इस साल 31 मई को सेवानिवृत्त हुए आलोक शुक्ला को छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से प्रमुख सचिव के रूप में अनुबंध पर नियुक्त किया गया है।