नई दिल्ली, कुनाल शर्मा: दिल्ली नगर निगम के कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। दरअसल, केंद्र ने तीनों नगर निगमों का एकीकरण करने का कदम उठाया है, इसके लिए अधिसूचना भी जारी कर दी है। मालूम हो कि, आने वाली 22 मई को भाजपा शासित नगर निगम भंग हो जाएगा। इसी दिन से नगर निगम के एकीकरण की अधिसूचना प्रभावी माना जाएगी। इस संबंध में केंद्र सरकार ने बीते दिन यानी बुधवार को अधिसूचना जारी कर दी है।
तीनों नगर निगमों का 22 मई को होगा विलय
केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना के अनुसार, दिल्ली नगर निगम (संशोधन) अधिनियम, 2022 के लागू होने के साथ ही दिल्ली के तीनों नगर निकायों का 22 मई को एक नगर निगम में विलय हो जाएगा। बता दें कि, “दिल्ली नगर निगम अधिसूचना 22 मई 2022 को लागू होगा। इस कदम के साथ, दिल्ली के सभी 3 नगर निगम -उत्तरी डीएमसी, दक्षिण डीएमसी और पूर्वी डीएमसी एक इकाई में विलय हो जाएंगे।” यह कदम 5 अप्रैल को राज्यसभा द्वारा दिल्ली एमसीडी विधेयक, 2022 को ध्वनिमत से पारित करने के लगभग एक महीने बाद आया है, जिसमें दिल्ली के तीन नगर निगमों को एक इकाई में विलय किया गया था।
22 मई को तीनों नगर निगमों कार्यकाल होगा समाप्त
इस अधिनियम के एकीकरण का फैसला समन्वित और रणनीतिक योजना और संसाधनों के इष्टतम उपयोग के लिए किया गया है ताकि, एक मजबूत तंत्र सुनिश्चित किया जा सके। अधिनियम के माध्यम से, केंद्र ने एक “विशेष अधिकारी” नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा जो अनिवार्य रूप से नए निगम की पहली बैठक आयोजित होने तक अंतरिम में पार्षदों के निर्वाचित विंग के कार्यों का निर्वहन करेगा। अधिनियम, 1957 में संशोधन की मांग करके दिल्ली के तीन नगर निगमों को एक इकाई में विलय करना है। बता दें कि, बीते दिन दक्षिणी दिल्ली नगर निगम का कार्यकाल समाप्त हो गया, जबकि अन्य दो निकाय -एनडीएमसी और पूर्वी डीएमसी 19 मई और 22 मई को अपना कार्यकाल पूरा करेंगे।
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राष्ट्रपति और विधेयक की सहमति से बना अधिनियम
आपको बता दें कि, तीनों नगर निकायों को एक करने के कानून को लोकसभा ने 30 मार्च को और राज्यसभा ने 5 अप्रैल को मंजूरी दी थी। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा 18 अप्रैल को विधेयक को अपनी सहमति देने के बाद कानून एक अधिनियम बन गया था। अधिनियम का उद्देश्य दिल्ली नगर निगम अधिनियम मौजूदा 272 से वार्डों की संख्या को घटाकर 250 कर देता है, जिसका अर्थ है कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को चुनाव से पहले एक परिसीमन अभ्यास से गुजरना होगा। वार्डों के सीमांकन के लिए केंद्र एक परिसीमन आयोग का गठन करेगा।