नई दिल्ली (रिपोर्ट- प्रदीप कुमार): कोरोना की वजह से संसद के मॉनसून सत्र पर ब्रेक लग गया है, आज राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई।हालांकि कृषि बिल के विरोध में विपक्ष की लड़ाई भी जारी रही।
कोरोना संकट के बीच बुलाया गया संसद का मानसून सत्र भी इससे प्रभावित रहा।सबसे ।पहले आज राज्यसभा को कोरोना के चलते अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।स्थगन से पहले आज राज्यसभा में ‘अर्हित वित्तीय संविदा द्विपक्षीय नेटिंग विधेयक’, 2020 को पारित किया गया। इसके अलावा तीन महत्त्वपूर्ण श्रम विधेयकों को भी पास किया गया। साथ ही ‘जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक-2020’ को पारित किया गया।
कुल मिलाकर राज्यसभा में इस सत्र में 25 विधेयकों को पास किया गया। वहीं, राज्यसभा ने आज नवंबर में सेवानिवृत्त हो रहे 11 सदस्यों को विदाई दी गयी।
दूसरी तरफ, विपक्ष के सांसदों ने कृषि विधेयक पर सदन का बहिष्कार किया। विपक्षी दलों के सदस्यों ने विपक्ष के नेता के दफ्तर में आगे की रणनीति को लेकर बैठक की।इस बैठक के बाद विपक्षी दलों ने ‘किसानों को बचाओ’ के पोस्टर लेकर सदन के बाहर प्रदर्शन किया।
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शाम को विपक्षी नेता राष्ट्रपति से मुलाक़ात करने राष्टपति भवन पहुँचे।कोरोना प्रोटोकॉल के चलते राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आज़ाद ही राष्ट्रपति से मुलाक़ात कर पाए।राष्ट्रपति भवन से बाहर आये नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने मुलाक़ात की जानकारी दी।आज़ाद ने कहा कि विपक्ष ने राष्ट्रपति से इस कृषि बिल को वापस कर देने की मांग की है। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि विपक्ष राज्यसभा में हंगामे के लिए जिम्मेदार नहीं है। इसके लिए सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने राष्ट्रपति से कहा है कि कृषि विधेयक पर हस्ताक्षर न करें।
इससे पहले राज्यसभा को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करते हुए सभापति वैंकया नायडू ने पिछले दो दिनों से सदन के कामकाज में कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा भाग नहीं लिए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। सभापति ने इस सत्र को बुलाये जाने के पीछे के कारणों का जिक्र करते हुए कहा कि इसे बुलाये जाने की संवैधानिक बाध्यता भी थी। साथ ही सभापति ने कहा कि उनकी प्रधानमंत्री मोदी से जब बात हुई तो उन्होंने कहा कि जब सभी क्षेत्रों के लोग काम कर रहे हैं तो सांसदों को जो जिम्मेदारी दी गयी है, उसे पूरा किया जाना चाहिए।
नायडू ने कहा कि राज्यसभा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि उपसभापति को हटाये जाने का नोटिस दिया गया। सभापति ने कहा कि उन्होंने इसे खारिज कर दिया क्योंकि वह नियमों के अनुरूप नहीं था। सभापति ने इसके बाद सदन में हुई घटनाओं को ‘पीड़ादायक’ बताया। वैंकया नायडू ने सदन में अनुपस्थित सदस्यों से अनुरोध किया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो और सदन की गरिमा बनी रहे।